Krishna
थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ मैं हाजिरनाजिर कद की खड़ी॥ साजणियां दुसमण होय बैठ्या सबने लगूं...
साजन घर आओनी मीठा बोला॥ कदकी ऊभी मैं पंथ निहारूं थारो आयां होसी मेला॥ आओ निसंक...
घर आंगण न सुहावै पिया बिन मोहि न भावै॥ दीपक जोय कहा करूं सजनी पिय परदेस...
म्हारी सुध ज्यूं जानो त्यूं लीजो॥ पल पल ऊभी पंथ निहारूं दरसण म्हाने दीजो। मैं तो...
पिया मोहि दरसण दीजै हो। बेर बेर मैं टेरहूं या किरपा कीजै हो॥ जेठ महीने जल...
करुणा सुणो स्याम मेरी मैं तो होय रही चेरी तेरी॥ दरसण कारण भई बावरी बिरहबिथा तन...
तुम्हरे कारण सब छोड्या अब मोहि क्यूं तरसावौ हौ। बिरहबिथा लागी उर अंतर सो तुम आय...
राम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री॥ तड़फत तड़फत कल न परत...
आओ मनमोहना जी जोऊं थांरी बाट। खान पान मोहि नैक न भावै नैणन लगे कपाट॥ तुम...
हरि बिन ना सरै री माई। मेरा प्राण निकस्या जात हरी बिन ना सरै माई। मीन...
साजन सुध ज्यूं जाणो लीजै हो। तुम बिन मोरे और न कोई क्रिपा रावरी कीजै हो॥...
पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस॥ ऐसो है कोई पिवकूं मिलावै तन मन करूं सब...