Vivek
मन रे बनिया बानि न छोड़े । जाके घर में कुबुद्धि बियानी पल पल में चित...
मन रे जागत रहिये भाई । ग़ाफ़िल होय वस्तु मत खोवे चोर मुसे घर आई ।...
मन रे नेकी कर ले दो दिन का मेहमान । टेक कहाँ से आया कहाँ जायेगा...
मन रे तन कागद का पुतला । लागे बूंद बिनसि जाय छिन में गर्व करे क्या...
मन राम सुमिर पछतायेगा । पापी जियरा पाप करत है आज काल छुट जायेगा । टेक...
मन तोहे तनिको शरम न आती । टेक माता मरी पिता तोर मरिगे मरिगे सुत और...
मन तू क्यों भूला रे भाई तेरी सुधबुध कहाँ हेराई । टेक जैसे पंछी रैन बसेरा...
मत बाँधो गठरिया अपयश कै । टेक धरम छोड़ि अधरम को धायो नैया डुबायो जनम भर...
भूला लोग कहैं घर मेरा । जा घर में तू भूला डोले सो घर नाहीं तेरा...
भागो मत जारे तेरी काया में गुलजारे । टेक करनी क्यारी बोय के रहनी रखु रखवारे...
जय जय जगदीश ईश शरण मैं तुमरी ॥ टेक ॥ ब्रम्हा वेद बचन रटत शम्भू सदा...
कामिल आस कमल किय़ा तैने ख्याल में खेल बनाय दिया ॥ टेक ॥ नहि कागज कलम...