पंडित काहे बकरिया मारी । टेक जब पंडित को जन्म भया है बकरी भई महतारी ।...

पंडित अपनी अगिन बुझाओ । हम तो अपनी राह चलत हैं तुम काहे दुख पाओ। टेक...

पढ़ि ले काजी बाँग निमाजा एक मसीद दसों दरवाजा । टेक मन करि मका क़िबला करि...

पड़े अविद्या में सोने वालों खुलेंगी आँखें तुम्हारी कब तक । शरण में आने को सद्गुरु...

परम प्रभु अपने ही उर पायो । जुगन जुगन की मिटी कल्पना सद्गुरु भेद बतायो ।...

सुख सिंधु की सैर का स्वाद तब पाइ है चाह का चौतरा भूलि जावे । १...

सील संतोष में सबद जा मुख बसै संत जन जौहरी साँच मानी । १ बदन विकसित...

साहब तेरा भेद न जाने कोई । टेक पानी लै लै साबुन लै लै मल मल...

सारी पहिर मैल कर डारी दामन की बहु भारी जी । टेक जैसन कर्म किहौ पूरब...

ज्ञान समसेर को बाँधि जोगी चढ़े मार मन मीर रन धीर हूवा । १ खेत को...

ज्ञान का गेंद कर सुर्त का डंड कर खेल चौगान मैदान माहीं । जगत का भरमना...

दुरुस्त जिभ्या रहै बचन अमृत कहै काम औ क्रोध का खोच खोई । ग्यान का पूर...