संतो परी मन अरुझन भारी । कहे सुने कछु हाथ न आवैं अविगति की गति न्यारी...

संतो नैन बाण है गाढ़े । जा तन लगे सोई तन जाने परे चैन नहिं ठाढ़े...

संतो दृष्टि परे सो माया । वह तो अचल अलेख एक है ज्ञान दृष्टि आया ।...

संतो देखत जग बौराना । साँच कहौं तो मारन धावै झूठे जग पतियाना । टेक नेमी...

संतो जिन जाना तिन माना । शब्दहि चाल चले कोई बिरला कथनी कथ लिपटाना । टेक...

संतो जग को को समझावै । तजि प्रत्यक्ष सतगुरु परमेश्वर जड़ को पूजन जावै । टेक...

संतो चूनर मोर नई । टेक पाँच तत्व की बनल चुनरिया सतगुरु मोहि दई । रात...

संतो घर में झगरा भारी । टेक राति दिवस मिलि उठि उठि लागे पाँच ढोटा एक...

संतो कोई जन शब्द विचारा । शब्द भेद यह है सतगुरु का परख लेहु टकसारा ।...

संतो कथनी कथे ते खोटा । जौ लौं कर्म विकार न खोये कोयला कपट जिय ओटा...

संतो अब हम आपा चीन्हा । निजस्वरूप प्राप्त है नितही अचरज सहित सो कीन्हा । टेक...

संतो अनुभव पदहिं समाना । सकल देव के भरम भुलाना अविगत हाथ बिकाना । टेक पहले...