Surrender
नाथ कैसे द्रुपदीके चीर बढ़ाए जाको देख सभी विस्माये टेक कौरव पांडव मिल आपस में जूबा...
नाथ कैसे नरसिंघ रूप बनाया जासे भक्त प्रहलाद बचाया टेक न कोई तुमारा पिता कहावे न...
राम तेरी रचना अचरज भारी जाको वर्णन कर सब हारी टेक जल की बूँद से देह...
आज मेरी सुनिये अरज गिरधारी मैं तो आया हूँ शरण तुमारी टेक बालापन सब खेल गवायो...
नाथ तेरी मायाजाल बिछाया जामे सब जग फिरत भुलाया टेक कर निवास नौमास गर्भ में फिर...
आज सखी सपने में आये नारायण बैकुंठ बिलासी टेक मदन अनेक वदन की शोभा रवि शशि...
आज सखी सतगुरु घर आये मेरे मन आनंद गयो री टेक दर्शन से सब पाप बिनाशे...
भाग्य बड़े सतगुरु मैं पायो मन की दुविधा दूर नसाई टेक बाहिर ढूंड फिरा मैं जिसको...
जै कमले कमलासन सुन्दरी सकल जगत माता सुखदाई टेक मोरमुकुट मस्तक पर राजे वनमाला गल बीच...
जै जगदीशवरी मात सरस्वती शरणागत प्रति पालनहारी टेक चंद्रबिंब सम वदन बिराजे शीश मुकुट माला गलधारी...
जै दुर्गे दुर्गति परिहारिणी शंभुविदारिणी मात भवानी टेक आदि शक्ति परब्रम्हस्वरूपिनी जगजननी चहु वेद बखानी ब्रम्हा...
जै गनेश गणनाथ दयानिधि सकल विघन कर दूर हमारे टेक प्रथम धरे जो ध्यान तुमारो तिसके...