जिसको नही है बोध तो गुरुज्ञान क्या करे
निजरूप को जाना नही पुराण क्या करे ॥ टेक ॥
घटघट में ब्रम्ह जोत का परकाश हो रहा
मिटा न द्वैत भाव तो फिर ध्यान क्या करे ॥ १ ॥
रचना प्रभु की देख के ज्ञानी बडे बडे
पावे न कोई पार तो नादान क्या करे ॥ २ ॥
करके दया दयाल ने मनीष जनम दिया
बंदा न करे भजन तो भगवान् क्या करे ॥ ३ ॥
सब जीवजंतुवों जिसे है नही दया
ब्रम्हानंद बरत नेम पुण्य दान क्या करे ॥ ४ ॥
Jisako nahee hai bodh to gurugyaan kyaa kare
Nijaroop ko jaanaa nahee puraan kyaa kare ॥ Tek ॥
Ghataghat mein bramh jot kaa parakaash ho rahaa
Mitaa na dvait bhaav to phir dhyaan kyaa kare ॥ 1 ॥
Rachanaa prabhu kee dekh ke gyani bade bade
Paave na koee paar to naadaan kyaa kare ॥ 2 ॥
Karake dayaa dayaal ne maneesh janam diyaa
Bandaa na kare bhajan to bhagavaan kyaa kare ॥ 3 ॥
Sab jeevajantuvon jise hai nahee dayaa
Bramhanand barat nem punya daan kyaa kare ॥ 4 ॥