किधर को बताऊं मैं तेरा मकाना
सबी विश्व में एक पूरण समाना ॥ टेक ॥
नीचे न ऊपर न चारों दिशा में
मिलता है मुझको अखीरी ठिकाना ॥ १ ॥
जहां देखता हुं नजर में हमेशा
सबीजां में जाहिर है तेरा निशाना ॥ २ ॥
कहुं कौन को नीच ऊंचा बसाना ॥ ३ ॥
मिटा द्वैत का भाव दिलसे हमारे
ब्रम्‍हानंद व्यापक निरंजन पिछाना ॥ ४ ॥

Kidhar ko bataaoon main teraa makaanaa
sabee vishv mein ek pooraṇ samaanaa ॥
neeche na oopar na chaaron dishaa mein
miltaa hai mujhko akheeree ṭhikaanaa ॥ 1 ॥
jahaan dekhtaa hun najar mein hameshaa
sabee jaan mein jaahir hai teraa nishaanaa ॥ 2 ॥
kahun kaun ko neech oonchaa basaanaa ॥ 3 ॥
miṭaa dvait kaa bhaav dil se humaare
bram‍haanand vyaapak niranjan pichhaanaa ॥ 4 ॥