मैं हुं दास तुमारा प्रभुजी मैं हूं दास तुमारा जी ॥ टेक ॥
सुत पितुमाता जग का नाता स्वारथ का संसारा जी
सब जग स्वप्ना कोई न अपना तूं मेरा रखवारा जी ॥ १
जपतप दाना धर्म न जाना नहि सतसंग बिचारा जी
सब गुण हीना भजन न कीना कैसे हो निस्तारा जी ॥ २
परबल माया जाल बिछाया फसिया जीव बिचारा जी
बिन तुझ करुणा भवभय हरणा नहि होवे छुटकारा जी ॥ ३
अवगुण मेरे नाथ घनेरे नहि कुछ पारावारा जी
ब्रम्हानंद शरण में आयो कीजे भवजल पारा जी ॥ ४