निरंजन पदको साधु कोई पाता है ॥ टेक ॥
मूल द्वार से खेंच पवन को उलटा पंथ चलाता है
नाभी पंकज दल में सूती नागन जाय उठाता ॥ १ ॥
मेरुदंड की सिडी बनाकर सुंन शिखर चड़ जाता है
भ्रमर गुफा में जाय बिराजे जगमग जोत जगाता है ॥ २ ॥
शशिमंडल सें अमृत टपके पीकर प्यास मिटाता है
गगन महल में जाकर सोवे सुरता सेज बिछाता है ॥ ३ ॥
सब कर्मन की धुनी जलाकर तनमें भस्म रमाता है
ब्रम्हानंद स्वरुप मगन हो आप ही आप समाता है ॥ ४ ॥
Niranjan padako saadhu koee paataa hai ॥ Tek ॥
Mool dvaar se kheinch pavan ko ulataa panth chalaataa hai
Naabhee pankaj dal mein sootee naagan jaay uthaataa ॥ 1 ॥
Merudand kee sidee banaakar sunn shikhar chad jaataa hai
Bhramar guphaa mein jaay biraaje jagamag jot jagaataa hai ॥ 2 ॥
Shashimandal sein amrit tapake peekar pyaas mitaataa hai
Gagan mahal mein jaakar sove surataa sej bichhaataa hai ॥ 3 ॥
Sab karman kee dhunee jalaakar tanamein bhasm ramaataa hai
Bramhanand svarup magan ho aap hee aap samaataa hai ॥ 4 ॥