सिरीराम कहे समझाई
सुन लछ्मन प्यारे भाई || टेक ||
निवास पिता ने दीना | मैने बचन शीश धर लीना जी ||
संग जनकसुता सुखदाई || सुन------
नहि दोष कैकयी माता | यह लिखिया लेख विधाता जी ||
मेरे मन में शोच कछु नाहीँ | सुन-------
सुख दुख सब दैव अधीना | नहि कोई किसी का कीना जी ||
जग मूरख मन भरमाई || सुन------
यह कर्म गति बलवाना | भोगे बिन होय न होना ||
ब्रम्हानंद न मन घबराई || सुन------
Siriram kahe samjhayi
Sun lacchman pyare bhai || tek ||
Niwaas pita ne deena, maine bachan sheesh dhar leena ji
Sang janaksuta sukhdaayi, sun -------
Nahi dosh kaikeyi mata, yeh likheya lekh vidhaata ji
Mere mann mein shoch kachu nahin, sun ------
Sukh dukh sab daiv adheena, nahi koi kisi ka keena ji
Jag moorakh mann bharmayi, sun ------
Yeh karm gati balwana, bhoge bin hoye na hona
Brahmanand na mann ghabrayi, sun -------