अखिल विश्‍व का जो परमात्मा है वही आत्मा सच्चिदानन्द मैं हूँ। शिवोहम शिवोहम शिवोहम वही आत्मा...

आदि अन्त मेरा है राम उन बिन और सकल बेकाम। कहाँ करूँ तेरा बेदपुराना जिन है...

ज़रा परदा हटा के देख ले सब से आला मैं। मैं तो सतचित् आनन्द रूप हूँ...

जीवन की घड़ियाँ विरथा न खो ओम् जपो हरि ओम् जपो। तेरा ये जीवन फिर हो...

मैं तो रमता जोगी राम मेरा क्या दुनियां से काम॥ टेक ॥ हाडमांस से बनी पुतलिया...

मानुष जन्म फिरके आना नहीं है बिना ज्ञान के मोक्ष पाना नही है ॥ टेक ॥...

जय जय जगदीश ईश शरण मैं तुमरी ॥ टेक ॥ ब्रम्हा वेद बचन रटत शम्भू सदा...

कामिल आस कमल किय़ा तैने ख्याल में खेल बनाय दिया ॥ टेक ॥ नहि कागज कलम...

मान कही मन मूर्ख तुं अब तो भज नाम निरंजन का ॥ टेक ॥ जून अनेक...

जाग़ मुसाफिर देख ज़रा वो तो कूच की नौबत बाज रही ॥ टेक ॥ सोवत सोवत...

शरण में आ पड़ा तेरी प्रभु मुझको भुलाना ना टेक तेरा है नाम दुनिया में पतित...

अगर है ज्ञान को पाना तो गुरु की जा शरण भाई टेक जटा सिरपे रखाने से...