ऐसी प्रीति करहु मन मेरे।।
आठ पहर प्रभ जानहु नेरे।।

मन महि सिंचहु हरि हरि नाम।।
अनदिनु कीरतनु हरि गुण गाम।।

कहु नानक जा के निरमल भाग।।
हरि चरनी ता का मनु लाग।।