बाबा बोलते ते कहा गए, देही के संगि रहते।।
सुरति माहि जो निरते करते, कथा बारता कहते।।
1. गगन नगरि इक बूंद न बरखै, नादु कहा जु समाना।।
पारब्रहम परमेसुर माधो, परम हंसु ले सिधाना।।
2. बजावनहारो कहा गइओ, जिनि इहु मंदरू कीन्हा।।
साखी सबदु सुरति नही उपजै, खिंचि तेजु सभु लीन्हा।।
3. स्रवनन बिकल भए संगि तेरे, इंद्री का बलु थाका।।
चरन रहे, कर ढरकि परे है, मुखहु न निकसै बाता।।
4. थाके पंच दूत सभ तसकर, आप आपणै भ्रमते।।
थाका मनु कुंचर उरू थाका, तेजु सूतु धरि रमते।।
5. मिरतक भए दसै बंद छूटे, मित्र भाई सभ छोरे।।
कहत कबीरा जो हरि धिआवै, जीवत बंधन तोरे।।