रे जोगी कहाँ गया है तू!
छोड़ा तूने डेरा अपना, खो गया कहाँ तू।
1. तेरा दर्शन मेरी शक्ति,
तेरा दर्शन मेरी मुक्ति,
रे जोगी कहाँ गया है तू!
लीन हुआ पंच तत्त्वों में, अनंत हो गया तू।
2. तेरी बोली रस की भरी,
तेरी दृष्टि अमृत सी झरी,
रे जोगी कहाँ गया है तू!
मूर्त अमूर्त हो गया, परब्रह्म है तू।
3. तेरी वाणी अमृत वाणी,
कहती अद्भुत अकथ कहानी,
रे जोगी कहाँ गया है तू!
सरगुण निर्गुण हो गया है, पूर्ण ब्रह्म है तू।
4. आदि अनंत प्रवाह जगत में,
फिर कब मिलना क्या होगा दर्शन,
रे जोगी कहाँ गया है तू!
स्थूल सूक्ष्म हो गया है, पूर्णानंद है तू।
Re jogi kahan gaya hai tu !
Chhoda tune dera apna, kho gaya kahan tu
1. Tera darshan meri shakti
Tera darshan meri mukti
Re jogi kahan gaya hai tu!
Leen hua panch tattvon mein, anant ho gaya tu
2. Teri boli ras ki bhari
Teri drishti amrit si jhari
Re jogi kahan gaya hai tu!
Moorat amoorat ho gaya parbramha hai tu
Teri vaani amrit vaani
Kahti adbhut akath kahaani
Re jogi kahan gaya hai tu
Sargun nirgun ho gaya hai, pooran bramha hai tu
4. Aadi anant pravaah jagat me
Fir kab milna kya hoga darshan
Re jogi kahan gaya hai tu!
Sthool sooksham ho gaya hai, Pooranand hai tu