कहन को सूर और रहन को कूर हैं, रहन बिनु कहन किस काम आवै। १ 

रहन  रजमा  बिना  कहन झूठी सबै, पाँच फूटा फिरै  काल  खावै। २ 

पाँच  को  बस  करै  नाम  ह्रदय धरै, कहैं  कबीर  कोई संत सूरा। ३ 

कहन अरु रहन तब दोउ एके भई, प्रकट तहँ मान सोइ  ग्यान पूरा। ४