कौन विचार करत हो पूजा, आतम राम अवर नहीं दूजा। १
बिन प्रतीतैं पाती तोड़ै, ग्यान बिना देवलि सिर फोड़ै। २
लुचरी लपसी आप संघारे, द्वारै ठाड़ा राम पुकारै। ३
पर आतम जो तत्त बिचारै, कहि कबीर ताकै बलिहारै। ४
कौन विचार करत हो पूजा, आतम राम अवर नहीं दूजा। १
बिन प्रतीतैं पाती तोड़ै, ग्यान बिना देवलि सिर फोड़ै। २
लुचरी लपसी आप संघारे, द्वारै ठाड़ा राम पुकारै। ३
पर आतम जो तत्त बिचारै, कहि कबीर ताकै बलिहारै। ४