खबरि नहिं या जग में पी की।
सुकून करिले नाम सुमिर ले, को जाने दी की। टेक
कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी, बात करे छल की।
पाप पुण्य की बाँधि पोटरिया, कैसे होय हलकी। १
तारन बीच चन्द्रमा झलके, जोत झलाझल की।
एक दिन पंछी निकल जायगा, मट्टी जंगल की। २
मातु पिता परिवार भाई बन्द, तिरिया मतलब की।
माया लोभी नगर बसतु है, या अपने कब की। ३
यह संसार रैन का सपना, ओस बुंद झलकी।
कहहि कबीर सुनो भाई साधो, बातें सद्गुरु की। ४