क्या देख मन भया दिवाना, छोड़ि भजन माया लिपटाना। टेक
पंचम महल देख मति भूले, अन्त खाक मिलि जाना।
कफ पित वायु मल मूत्र भरे हैं, सोई देख नर करत गुमाना। १
राजा राज छोड़ के जइहैं, खेती करत किसाना।
योगी यति सती संन्यासी, ये सब काल के हाथ बिकाना। २
मातु पिता सुत बन्धु सहोदर, ये सब अपने स्वारथ आना।
अन्त समय कोइ काम न आवै, प्राण नाथ जब करहिं पयाना। ३
भजन प्रताप अमर पद पाइय, शोक मोह चिंता नहिं आना।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, गुरु चरण पर राखो ध्याना। ४