नाम हरि का जप ले बन्दे, फिर पीछे पछतायेगा । टेक
तू कहता है मेरी काया, काया का गुमान क्या ।
चाँद सा सुंदर ये तन तेरा, मिट्टी में मिल जायेगा । १
वहाँ से क्या तू लाया बन्दे, यहाँ से क्या तू ले जायेगा ।
मुट्ठी बाँध के आया जग में, हाथ पसारे जायेगा । २
बालापन में खेला खाया, आई जवानी मस्त रहा ।
बूढ़ापन में रोग सताये, खाट पड़ा पछ्तायेगा । ३
जपना है तो जप ले बन्दे, आखिर तो मिट जायेगा ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, करनी का फल पायेगा । ४
Naam hari ka jap le bande, fir peeche pachhtayega | tek
Tu kehta hai meri kaaya, kaaya ka gumaan kya
Chaand sa sundar ye tan tera, mitti mein mil jayega | 1
Wahan se kya tu laaya bande, yahan se kya tu le jayega
Mutthi baandh ke aaya jag mein, haath pasaare jaayega | 2
Baalapan mein khela khaya, aayi jawani mast raha
Boodhapan mein rog sataye, khaat pada pachhtaega | 3
Japna hai to jap le bande, aakhir to mit jaega
Kahat kabir suno bhai saadho, karni ka fal paayega | 4