तख्त बना हाड़ चाम का जी, दाना पानी का भोग लगावता है। १

मल नीर झरै लोहू मांस बढ़ै, आपु आपु को अंस बढ़ावता है । 2

नाद बिंदु के बीच कलोल कराई, सो आतम राम कहावता है । ३

अस्थान यहीं कहँ ढूँढता है, दया देस कबीर बतावता है । ४