Bhakti
देखो नन्दमहर के घर में प्रगटे कृष्ण मुरारजी ॥ टेक ॥ मथुरा मात देवकी जाये गोकुल...
राजा दशरथ के महलों में जन्म लिया श्रीरामजी ॥ टेक ॥ माता कौशल्या के जाये सुन्दर...
ज्ञान दे गुरुदेव ने मेरे दिलका भरम मिटा दिया ॥ टेक ॥ जाता था देखने को...
देखले नजरों से प्यारे ईश का दरबार है ॥ टेक ॥ भूमी गलीचा है बिछा आकाश...
मानले कहना मेरा मन की लालच छोड दे ॥ टेक ॥ चारदिन की जिंदगी आखिर यहां...
दे पिया दर्शन मुझे तेरा वियोग सता रहा ॥ टेक ॥ छोडकर घरमें मुझे तुम जा...
जो भजे हरि को सदा सोई परमपद पायगा ॥ टेक ॥ देखके माला तिलक अरु छाप...
तेरी शरण में आयके फिर आश किसकी कीजिये ॥ टेक ॥ नहि देख पडता है मुझे...
अब तो तजो नर रति विषयन की करले फिकर परलोक गमनकी ॥ टेक ॥ बालपणा जिम...
अनहद धुनि सिर पर बाज रही एजी बाज रही अरु गाज रही ॥ टेक ॥ बाजत...
प्रभु तुम सकल जगत के स्वामी घटघट के नित अंतरयामी ॥ टेक ॥ निर्मल पूरण रूप...
प्रभु कर सब दुःख दूऱ ह्मारे शरण पडे हम दास तुमारे ॥ टेक ॥ सकल जगत...