नाम निरंजन गावो रे सब छोड भरमणा ॥ टेक ॥ नाम निरंजन सब दुखभंजन नही मन...

दीनानाथ रमापति मैं हुं शरण तुमरी जी ॥ टेक ॥ काम क्रोध मद लोभ लुटेरे रखिये...

मैं तो तेरा दास प्रभुजी मुझे न बिसारणा ॥ टेक ॥ जपतप दान नाही तीरथ स्नान...

कृष्ण ने कैसी होरी मचाई अचरज लखियो न जाई असत सतकर दिखलाई ।। टेक ॥ एक...

मैं तो गुरु अपनेसे होरी खेलुं मन धार री ॥ टेक ॥ प्रेमभाव का रंग बनावु...

होरी कुञ्ज गलिन में खेलत नंद कुमार री ॥ टेक ॥ मोरमुकुट सिर ऊपर सोहे गल...

तजो अब नींद रे मुसाफिर करो तयारी रे ॥ टेक ॥ इस नगरी के नौ दरवाजे...

सुनो जगदीश प्रभु अरज हमारी ॥ टेक ॥ मानुष जन्म मिला जग माही किरपा भई तुमारी...

जपो हरिनाम बन्दे उमर बिहानी रे ॥ टेक ॥ बालपणो सब खेल गमायो तिरिया मोह जुवानी...

जगत में जीवन है दिन चार सुकृतकर हरिनाम सुमर ले मानुष जन्म सुधार ॥ टेक ॥...

जगत में रामनाम है सार सोच समझ नर देख पियारे नश्वर सब संसार ॥ टेक ॥...

जगत में स्वारथ का व्यवहार बिन स्वारथ कोई बात न पूछे देखा खूब बिचार ॥ टेक...