Kabir
मेरे सदगुरु दई बताय दलाली लालन की।। लाल पड़ा मैदान में कीच रहा लपटाय। निगुरेनिगुरे लख...
झीनी झीनी बीनी चदरिया।। काहे के ताना काहे के भरनी कौन तार से बीनी चदरिया।। इँगला...
का सोवो सुमिरन की बेरिया।। गुरु उपदेशन की सुधि नाहीं झकत फिरो झक झलनि झलरिया।। गुरु...
मुनिया पिंजड़े वाली ना तेरा सदगुरु है व्यापारी।। अलख डार पर मुनिया बैठी खाये ज्ञान की...
रहना है होशियार नगर में इक दिन चोरवा आवेगा।। तोप तीर तलवार न बरछी नाहीं बंदूक...
संतों सो उतरे भव पारा। मन की इच्छा सब ही त्यागे छाड़े विषय विकारा।। धीर गम्भीर...
पाती तोरै मालिनी पाती पाती जीउ।। जिसु पाहन कउ पाती तोरै सो पाहन निरजीउ।। भूली मालनी...
पूजहु रामु एकु ही देवा।। साचा नावणु गुर की सेवा।। अंतरि मैलु जे तीरथ नावै तिसु...
डगमग छाडि रे मन बउरा।। अब तउ जरे मरे सिधि पाईऐ लीनो हाथि संधउरा।। मन रे...