Kabir
जनम तेरा बातों ही बीत गयो तूने कबहुँ न कृष्ण कहयो। पाचँ बरस का भोलाभाला अब...
सईयाँ निकर गये मैं ना लरी। ना मैं बोली ना मैं चाली ओढ़ी चुनरिया परी रही।...
जोगी जन जागत रहु हो भाई। जागत रहियो सोय न जइहो चोर मूसि ले जाई।। बिरह...
ग्यान का धनुष ले मुक्ति मैदान में सील का बान ले मतंग मारा। सबद का घाव...
राम सिमर पछतायेगा मन राम सिमर।। पापी ज्योड़ा लोभ करत है आज कल उठ जायेगा। लालच...
उड़ जाएगा हंस अकेला जग दर्शन का मेला। जैसे पात गिरे तरुवर के मिलना बहुत दुहेला...
सतगुरु है रंगरेज चुनरि मोरि रंग डारी।। स्याही रंग छुडाय के रे दिया मजीठा रंग। धोये...
पानी बीच बतासा संतो तन का यही तमासा है। क्या ले आया क्या ले जायेगा क्या...
संतो सदगुरु अलख लखाया। परम प्रकाशक ज्ञान पुंज घट भीतर में दरशाया।। मन बुद्धि बानी जाहि...
संतो सो सदगुरु मोहि भावै जो आवागमन मिटावै। डोलत डिगै ना बोलत बिसरे अस उपदेश सुनावै।।...
बिना रे खेवैया नैया कैसे लागे पार हो।। केते निगुरा खड़े किनारे केते खड़े मँझधार हो।...
मुखड़ा क्या देखै दरपन में दया धरम नहीं मन में।। गहिरी नदिया नाव पुरानी उतरन चाहै...