Kabir
आपनी आपनी ख्याल में मस्त हैं चार अरु असी का जीव सारा । १ करत आचार...
जैसे श्वान काँच मंदिर में भरमित भूसि मरयो ॥ १ ज्यों केहरि बपु निरखि कूप जल...
आपन काहे न सँवारे काजा । टेक ना गुरु भगति साध की संगत करत अधम निर्लाजा...
आनंद मंगल गाव मोरु सजनी। भयो प्रभात बीत गइ रजनी ॥ १ नाटक चाटक बहु बिधि...
आन पड़ा चोरन के नगर सत्संग बिना जिय तरसे हो ॥ टेक हरि सो हीरा...
आतस की आंच तो एक सी है मत पकड़ो कोई आयके जी । अपनी बिरानी नाहीं...
आतम खसम राड़ भई धनियाँ झूठ खसम मन भावत रे । टेक सिष्य झूठ गुरु झूठ...
आठ हूँ पहर मतवाल लागी रहे आठ हूँ पहर की छाक पीवै । १ आठ हूँ...
अस लोगन को बहि जाने दे । टेक हंस हंस मिलि चलो सरोवर बकुलन मछली खाने...
अवसर बार बार नहिं आवै । जो चाहो करि लेव भलाई जन्म जन्म सुख पावै ।...
अवसर बहुत भलो रे भाई । मानुष तन देवन को दुर्लभ सोई देह तैं पाई ।...
अवधू मेरा मन मतिवारा । उनमनि चढ़ा मगन रस पीवै त्रिभुवन भया उजियारा ॥ टेक गुड़...