Vairagya
मन तुम भजन करो जग आइ के । टेक दुर्लभ साज मुक्ति की देहि भूले माया...
मन को चीन्हो रे नर भाई । आतम छोड़ि के पाथर पूजे बहा सकल जग जाई...
मत बाँधो गठरिया अपयश कै । टेक धरम छोड़ि अधरम को धायो नैया डुबायो जनम भर...
भेष को देखि कोई भूलो नहीं भेष पहिरे कोई सिद्ध नाहीं । काम और क्रोध मद...
भूला लोग कहैं घर मेरा । जा घर में तू भूला डोले सो घर नाहीं तेरा...
भाई रे दुइ जगदीश कहाँ ते आया कहु कौने बौराया । अल्लाह राम करीमा केशव हरि...
भरम में भूल रहा संसार । टेक साँच वस्तु कैसे के पावै माने नहिं इतबार ।...
भजु मन राम उमरि रहि थोड़ी । टेक चारि जने मिलि लेन को आये लिये काठ...
भजु मन जीवन नाम बसेरा । टेक सुंदर देह देखि जनि भूली झपट लेत जस बाज...
भजन बिन बावरे तूने हीरा जनम गँवाया । टेक कभी न बैठा साधु संग में कभी...
भजन बिन तीनों पन बिगड़े । चेतो रे नर जीवन थोड़ा काल करत झगड़े । टेक...
भजन बिन जीवन पशू समान । टेक भोगै लड़ै खाय पशु सोवै यहै चारि माँ मनुवा...