अरे आत्मा रे तुझे किसका डर है। तू हस्ती से अपनी खुद बेखबर है।। जिसम हो...

इस काया का होवे विनाश है। तू तो साक्षी स्वयं प्रकाश है।। पंच भूतों का तन...

चेतन हो जाए वख ते ऐ बुत्त मिट्टी दा। कोई ना सकदा रख ते ऐ बुत्त...

जन्मा है कोई और मेरा कोई जन्मा नहीं। मरता है कोई और मेरा कोई मरण नहीं।।...

जीना है तो मौज से जी हर दम आत्म रस को पी। आत्म रस को पी...

जो तू है सो मैं हूँ जो मैं हूँ सो तू है। न कोई आरजू है...

मैं सत् चित् आनंद रूपा हूं बतला दिया सत् गुरु प्यारे ने। कर सच्चे गुरु दा...

मेरा सत् चित् आनन्द रूप कोई कोई जाने रे। पंच कोष से मैं हूं न्यारा तीन...

अपने आप का कर ले विचार। जागो जल्दी हैं दिन चार।। थोड़ा समय तुम यूँ निकालो।...

मुझे मेरी मस्ती कहाँ ले के आई जहाँ मेरे अपने सिवा कुछ नहीं है। लगा जब...

हुक्में साईं में रहकर जरा देख ले। देख होता है क्या क्या से क्या देख ले।।...

आया है संसार में दुनिया की मौज तू ले। खा ले पी ले मौज मना दुनिया...