Bhakti
संतो वह घर सब से न्यारा जहाँ पूरण पुरुष हमारा । टेक जहाँ न सुख दुख...
सन्तो राह दुनों हम दीठा । हिन्दू तुरुक हटा नहिं माने स्वाद सबन को मीठा ।...
संतो मानुष तन बौराना । टेक इक बकरी का बच्चा लाये ताहि खिलावत दाना । शीश...
संतो भाई आई ज्ञान की आँधी । भ्रम की टाटी सबै उड़ानी माया रहे न बाँधी...
संतो भक्ति सतोगुर आनी । नारी एक पुरुष दुइ जाया बूझो पंडित ज्ञानी । टेक पाहन...
संतो बोले ते जग मारे । अनबोले ते कैसेक बनि है शब्दहि कोइ न बिचारे ।...
संतो बीजक मत परमाना । कैयक खोजी खोजि थके कोई विरला जन पहिचाना । टेक चारिउ...
संतो परी मन अरुझन भारी । कहे सुने कछु हाथ न आवैं अविगति की गति न्यारी...
संतो नैन बाण है गाढ़े । जा तन लगे सोई तन जाने परे चैन नहिं ठाढ़े...
संतो दृष्टि परे सो माया । वह तो अचल अलेख एक है ज्ञान दृष्टि आया ।...
संतो देखत जग बौराना । साँच कहौं तो मारन धावै झूठे जग पतियाना । टेक नेमी...
संतो जिन जाना तिन माना । शब्दहि चाल चले कोई बिरला कथनी कथ लिपटाना । टेक...