सईयाँ निकर गये मैं ना लरी। ना मैं बोली ना मैं चाली ओढ़ी चुनरिया परी रही।...

मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया।। पांच तत्व की बनी चुनरिया सोरह सै बंद लागे...

पानी में मीन पियासी मोहि सुन सुन आवत हाँसी।। आतमज्ञान बिना नर भटके कोई मथुरा कोई...

हंसा यह पिंजड़ा नहिं तेरा।। कंकड़ चुनचुन महल बनाया लोग कहैं घर मेरा। ना घर मेरा...

मानत नहिं मन मोरा साधो मानत नहिं मन मोरा। बार बार मैं कहि समुझावौं जग में...

मेरे साहिबा कउणु जाणै गुण तेरे।। कहे न जानी अउगण मेरे।। कत की माई बापु कत...

तोही मोही मोही तोही अंतरु कैसा।। कनक कटिक जल तंरग जैसा।। जउपै हम न पाप करंता...

झिमि झिमि वरसै अंम्रित धारा।। मनु पीवै सुनि सबद बीचारा।। अनद बिनोद करे दिन राती सदा...

गुर तारि तारणहारिआ।। देहि भगति पूरन अविनासी हउ तुझ कउ बलिहारिआ।। हम डोलत बेड़ी पाप भरी...

गुर जैसा नाही को देव।। जिसु मसतकि भागु सु लागा सेव।। सतिगुरु मेरा बेमुहताजु।। सतिगुर मेरे...

अंधियारे दीपकु चहीऐ।। इक बसतु अगोचर लहीऐ।। बसतु अगोचर पाई।। घटि दीपकु रहिआ समाई। किआ पढ़ीऐ...

हरि बिनु रहि न सकै मनु मेरा।। मेरे प्रीतम प्रान हरि प्रभु गुरु मेले बहुरि न...