बादल बरसे जियरा तरसे दरस तेरे को मोहन चरण छूने को मोहन जियरा तरसे जियरा तरसे।...

बाबा काया नगर बसावो। ज्ञान दृष्टि सो घट में देखो सुरत बिरति लौ लावो। पाँच गार...

फर्श से ले कर अर्श तक जिसका जहाँ में नूर है। जिसके जलवे के लिए हर...

फागुन के दिन चार होरी खेल मना रे। बिन करताल पखावज बाजे अनहद की झंकार रे।...

प्रेम के मारे ऐसे तीर हिरदा चीर गये। छुपछुप कर मैं दर्शन करती दूर ही दूर...

पीवता नाम जो जुगन जुग जीवता नाहिं वो मरे जो नाम पीवे। काल व्यापे नहिं अमर...

पिला दे प्रेम का प्याला प्रभु दरशन की प्यासी हूँ। छोड़ के भोग दुनिया के योग...

पिया मिलन के काज आज जोगन बन जाऊँगी। हार श्रृंगार छोड़ के सारे अंग विभूति रमाऊँगी...

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु कर किरपा अपनायो। जन्मजन्म...

पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे। मैं तो मेरे नारायण की हो गई आप ही दासी...

प्यारे सतगुरु ने बंसी छेड़ी ज्ञान की मैंने पाई है तृप्ति चारों धाम की। प्रीत क्या...

पी ले प्याला हो मतवाला प्याला प्रेम हरि रस का रे। बालपना सब खेल गंवाया तरूण...