Vairaagya
हमता ममता को दूर करे यही तो मूल जंजाल है जी चाह अचाह को छोड़ देवे...
सच साहिब मिलने को मेरा मन लीना बैराग है जी। मोह निशा में सोई गई चौंक...
वाहवाह माटी दी गुलज़ार। माटी घोड़ा माटी जोड़ा माटी दा असवार माटी माटी नूं मारन लागी...
रे पंथी चलना आज की काल। समझ न देखे कहाँ सुख होवे रे मन राम सम्भाल।...
यह आलम सारा फानी है फानी को कहां बकां बाबा। धन दौलत आनीजानी है यह दुनिया...
भज ले हरि हरि हो प्यारे भज ले हरि हरि। चार दिन की जिंदगानी तू भज...
प्यारे मन की गठरी खोल जिसमें लाल भरे अनमोल। झूठी माया झूठी काया मृगजाल में तू...