हां मोहे अचरज एक दिखाए रे,
कैसे बिंदु में सिंधु समाए रे।
1. रहत अकार बसत अनंतर, छाया ते जग प्रगटाए रे।
नयन श्रवण बिन लसत सुनत कैसे, आप ही आप बतलाए रे।।
2. हां आप ही नटिया आप तमाशा, आप ही आप भुलाए रे।
आप ही बंधन आप बंधाया, आप ही आप छुड़ाए रे।।
3. आप ही ज्ञानी आप अज्ञानी, आप ही आप बुझाए रे।
आप ही शब्दा ही आप सुनता, आप ही आप सुनाए रे।।