तेरे मन में राम, तन में राम, रोम रोम में राम रे।
राम सुमिर ले, ध्यान लगा ले, छोड़ जगत के काम रे।
बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम-राम-राम।
1. माया में तू उलझा-उलझा, दर दर धूल उड़ाये,
अब क्यों करता मन भारी जब, माया साथ छुड़ाये,
दिन तो बीता दौड़ धूप में, ढल जाये ना शाम रे।
2. तन के भीतर पांच लुटेरे, डाल रहे हैं डेरा,
काम क्रोध मद लोभ मोह ने, तुझको कैसा घेरा,
भूल गया तू राम रटन, भूला पूजा का काम रे।
3. बचपन बीता खेल-खेल में, भरी जवानी सोया,
देख बुढ़ापा अब तो सोचे, क्या पाया क्या खोया,
देर नहीं है अब भी बन्दे, ले-ले उसका नाम रे।