अल्लाह राम जियो तेरी नांई, जिन्ह पर मेहर होहु तुम साँई । १
क्या मुण्डी भूईं शिर नाये, क्या जल देह नहाये ॥ २
खून करे मिस्कीन कहाये, अवगुण रहे छिपाये ॥ ३
क्या वजू जप मंजन कीये, क्या महजिद शिर नाये ॥ ४
ह्रदया कपट निमाज गुजारे, क्या हज मक्के जाये ॥ ५
हिन्दू बरत एकादशी चौबीस, तीस रोजा मुसलमाना ॥ ६
ग्यारह मास कहो किन टारे, एक महीना आना ॥ ७
जो खुदाय महजीद बसतु है, और मुलुक केहि केरा ॥ ८
तीरथ मूरत राम निवासी, दुइमा किनहुँ न हेरा ॥ ९
पूरब दिशा हरी को बासा, पश्चिम अल्लह मुकामा ॥ १०
दिल में खोजि दिलही माँ खोजो, इहै करीमा रमा ॥ ११
वेद कितेब कहा किन झूठा, झूठा जो न विचारे ॥ १२
सब घट एक एक के लेखे, भय दूजा के मारे ॥ १३
जेते औरत मर्द उपाने, सो सब रूप तुम्हारा ॥ १४
कबीर पोंगरा अलल्ह राम का, सो गुरु -पीर हमारा ॥ १५
Allah rama jiyo teri naain, jinh par mehar hohu tum sayin . 1
Kya mundi bhooein shir naaye, kya jal deh nahaye ॥ 2
Khoon kare miskeen kahaye, avagun rahe chhipaye ॥ 3
Kya vaju jap manjan kiye, kya mahajid shir naye ॥ 4
Hrudaya kapat nimaj gujare, kya haj makke jaye ॥ 5
Hindu barat ekadashi chaubis, tees roja musalaman ॥ 6
Gyarah maas kaho kin Taare, ek mahina aanaa ॥ 7
Jo khudaay mahajid basatu hai, aur muluk kehi kera ॥ 8
Tirath murat rama nivase, duimaa kinhun na hera ॥ 9
Purab disha hari ko baasaa, pashchim allah mukaamaa ॥ 10
Dil mein khoji dilahi maa khojo, ihei karima ramaa ॥ 11
Ved kiteb kahaa kin jhutha, jhutha jo na vichare ॥ 12
Sab ghat ek ek ke lekhe, bhay dujaa ke maare ॥ 13
Jete aurat mard upaane, so sab roop tumhara ॥ 14
Kabir pongara allah Rama ka, so guru -peer hamara ॥ 15