कबीर करत है बीनती, सुनो संत चित लाय।
मारग सिरजनहार का, दीजै मोहिं बताय।।
सतगुरु बड़े दयाल हैं, संतन के आधार।
भवसागरहि अथाह से, खेइ उतारैं पार।।
भक्ति दान मोहि दीजिये, गुरु देवन के देव।
और नहीं कछु चाहिये, निसु दिन तेरी सेव।।
कौन सुरति लै आवई, कौन सुरति लै जाय।
कौन सुरति है इस्थिरे, सो गुरु देहु बताय।।
बास सुरति लै आवई, सबद सुरति लै जाय।
परिचय सुरति है इस्थिरे, सो गुरु दई बताय।।
जो आवै तो जाय नहिं, जाय तो आवै नाहिं।
अकथ कहानी प्रेम की, समुझि लेहु मन माहिं।।
हम चाले अमरावती, टारे टूरे टाट।
आवन होय तो आइयो, सूली ऊपर बाट।।
सूली उपर घर करै, विष का करै आहार।
ता का काल कहा करै, जो आठ पहर हुसियार।।
कबीर गर्ब न कीजिए, अस जोबन की आस।
टेसू फूला दिवस दस, खंखर भया पलास।।
कबीर गर्ब न कीजिए, ऊँचा देखि आवास।
काल्ह परे भुइँ लेटना, ऊपर जमसी घास।।
कबीर गर्ब न कीजिये, चाम लपेटे हाड़।
हय बर ऊपर छत्र तर, तौ भी देवें गाड़।।
गूँगा हुआ बावरा, बहिरा हुआ कान।
पायन से पगुँला हुआ, सतगुरु मारा बान।।
सतगुरु मारा बान भरि, टूटि गया सब जेब।
कहुँ आपा कहुँ आपदा, तसबी कहूँ कतेब।।
सतगुरु मारा बान भरि, निरखि निरखि निज ठौर।
अलख नाम में रमि रहा, चित न आवै और।।
दिल में ही दीदार है, बाद बहै संसार।
सतगुरु सबद का मस्कला, मोहिं दिखावनहार।।
ज्ञान समागम प्रेम सुख, दया भक्ति बिस्वास।
सतगुरु मिलि एकै भया, रही न दूजी आस।।
सतगुरु बड़े सराफ हैं, परखें खरा अरू खोट।
भवसागर तें निकारि कै, राखैं अपनी ओट।।
भवसागर जल विष भरा, मन नहिं बांधे धीर।
सबद सनेही गुरु मिला, उतरा पार कबीर।।
सतगुरु सबद जहाज हैं, कोई-कोई पावे भेद।
समुंद बुन्द एकै भया, किसका करूँ निषेध।।
गुरु गुरु में भेद है, गुरु गुरु में भाव।
सोई गुरु नित बंदिये, जो सबद बतावै दाव।।
जा गुरु तें भ्रम न मिटै, भ्रांति न जीव की जाये।
गुरु तो ऐसा चाहिये, देवै सबद लखाये।।
बँधे को बँधा मिलै, छूटै कौन उपाय।
कर सेवा निरबंध की, पल में लेत छुड़ाय।।
कबीर गुरु को गम नहीं, पाहन दिया बताय।
सिश सोधे बिन सेइया, पार न पहुँचै जाय।।
गुरु बिनु माला फेरता, गुरु बिनु करता दान।
गुरु बिनु सब निस्फल गया, बुझौ बेद पुरान।।
गगन मंडल के बीच में, तहवाँ झलकै नूर।
निगुरा महल न पावई, पहुँचेगा गुरु पूर।।
ऐसा कोई न मिला, हम को दे उपदेस।
भवसागर में बूड़ता, कर गहि काढ़ै केस।।
हम घर जारौं आपना, लूका लीन्हा हाथ।
अब घर जारौं ताहिं का, जो चले हमारे साथ।।
गुरु मिला तब जानिये, मिटै मोह तन ताप।
हर्ष सोक व्यापै नहीं, तब गुरु आपै आप।।
गुरु हमारा गगन में, चेला है चित्त माहिं।
सुरत सबद मेला भया, बिछुड़त कबहूँ नाहिं।।
भेदी लीन्हा साथ कर, दीन्ही बस्तु लखाय।
कोटि जन्म का पंथ था, पल में पहुँचा जाय।।
सतगुरु हम से रीझि कै, एक कहा परसंग।
बरसा बादल प्रेम का, भीजि गया सब अंग।।
सतगुरु के उपदेस का, सुनियो एक बिचार।
जो सतगुरु मिलता नहीं, जाता जम के द्वार।।
सतगुरु साचा सूरमा, नख सिख मारा पूर।
बाहर घाव न दीसई, भीतर चकनाचूर।।
सतगुरु सबद कमान करि, बाहन लागा तीर।
एक जो बाहा प्रेम से, भीतर बिंधा सरीर।।
हँसे न बोले उनमुनी, चंचल मेला मार।
कबीर अंतर बेधिया, सतगुरु का हथियार।।
गुरु हैं बड़ गोविन्द तें, मन में देखु विचार।
हरि सुमिरै सो वार है, गुरु सुमिरै सो पार।।
तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दीन्हा दान।
जम गरजे बल बाघ के, कहै कबीर पुकार।।
पंडित पढि़ गुनि पचि मुए, गुरु बिन मिलै न ज्ञान।
ज्ञान बिना नहीं मुक्ति है, सत्त सबद परमान।।
तीन लोक नौ खंड में, गुरु ते बड़ा न कोइ।
करता करै न करि सकै, गुरु करै सो होइ।।
कबीरा हरि के रूठते, गुरु के सरने जाय।
कहै कबीर गुरु रूठते, हरि नहिं होत सहाय।।
कबीरा हीरा बनिजिया, हिरदै प्रगटी खानि।
सत्त पुरुष किरपा करी, सतगुरु मिले सुजान।।
कबीर बादल प्रेम को, हम पर बरसयो आय।
अंतर भीजी आत्मा, हरो भयो बनराय।।
साचे गुरु की पच्छ में, मन को दे ठहराय।
चंचल ते निहचल भया, नहिं आवै नहिं जाय।।
चार भुजा के भजन में, भूलि परे सब संत।
कबीर सुमिरै तासु को, जाके भुजा अनंत।।
जनम मरन से रहित है, मेरा साहिब सोय।
बलिहारी वहि पीव की, जिन सिरजा सब कोय।।
कस्तुरी कुण्डल बसै, मृग ढूँढै बन माहिं।
ऐसे घट में पीव है, दुनिया जानै नाहिं।।
तेरा सांई तुझ में, ज्यों पुहुपन में बास।
कस्तुरी का मिरग ज्यों, फिरि फिरि सूँघै घास।।
जा कारन जग ढूँढिया, सो तो घट ही मांहि।
परदा दीया भरम का, ता तें सूझै नाहिं।।
समझै तो घर में रहै, परदा पलक लगाय।
तेरा साहिब तुझ में, अनत कहूँ मति जाय।।
जेता घट तेता मता, बहु बानी बहु भेख।
सब घट व्यापक होय रहा, सोई आप अलेख।।
ज्यों तिल माहीं तेल है, ज्यों चकमक में आगि।
तेरा साई तुझ में, जागि सकै तो जाग।।
ज्यों नैनन में पूतरी, यों खालिक घट माहिं।
मूरख लोग न जानहीं, बाहर ढूँढन जाहिं।।
मैं जान्या हरि दूरि है, हरि रहया सकल भरपूरि।
आप पिछाणै बाहिरा, नेड़ा ही थैं दूरि।।
पावक रूपी साइयाँ, सब घट रहा समाय।
चित चकमक लागै नहीं, ता तें बुझि बुझि जाय।।
भारी कहूँ तो बहु डरूँ, हलुका कहूँ तो झीठ।
मैं क्या जानूँ पीव को, नैन कछु न ढीठ।।
जो देखे सो कहे नहिं, कहे सो देखे नाहिं।
सुने सो समझावे नहिं, रसना दृग सखन काहिं।।
जो पकरै सो चलै नहिं, चलै सो पकरै नाहिं।
कह कबीर यह साखि को, अरथ समझ मन माहिं।।
बाद बिबादे बिष घना, बोले बहुत उपाध।
मौनि गहै सब की सहै, सुमिरै नाम अगाध।।
करता की गति अगम है, चलु गुरु के उनमान।
धीरे धीरे पाँव दे, पहुँचोगे परमान।।
जरन मरन दुख याद कर, कूड़े काम निवार।
जिन जिन पंथों चालना, सोई पंथ सम्हार।।
कबीर सोता क्या करै, क्यों नहिं देखै जाग।
जा के संग से बीछुड़ा वाही के संग लाग।।
सहज सहज सब कोउ कहै, सहज न चीन्है कोय।
जा सहजै साहिब मिलै, सहज कहावै सोय।।
सहज सहज सब कोइ कहै, सहज न चीन्है कोय।
जा सहजै बिशया तजै, सहज कहावै सोय।।
सहजै सहजै सब मया, मन इंद्री का नास।
निहकामी से मन मिला, कटि करम की फाँसि।।
सहजै सहजै सब गया, सुत, बित, कामनि, काम।
एकमेक है मिलि रहा, दास कबीरा नाम।।
आतम अनुभव ज्ञान की, जो कोई पूछै बात।
सो गूँगा गुड़ खाइ कै, कहै कौन मुख स्वाद।।
ज्यों गूंगे के सैन को, गूंगा ही पहचान।
त्यों ज्ञानी के सुक्ख को, ज्ञानी होय सो जान।।
जागत से सोवन भला, जो कोई जानै सोय।
अन्तर लौ लागी रहै, सहजै सुमिरन होय।।
जागन में सोवन करै, सोवन में लौ लाय।
सुरति डोर लागी रहै, तार टूटि नहिं जाय।।
साहिब ते सब होत है, बंदे तें कछु नाहिं।
राई ते परबत करै, परबत राई माहिं।।
ना कुछ किया न करि सका, ना करने जोग सरीर।
जो कुछ किया साहिब किया, ता तें भया कबीर।।
घट समुंद लखि ना परै, उठै लहर अपार।
दिल दरिया समरथ बिना, कौन उतारे पार।।
मो में इतनी सक्ति कहँ, गाऊँ गला पसार।
बंदे को इतनी घनी, पड़ा रहै दरबार।।
सबद सुरति के अन्तरे, अलख पुरूश निर्बान।
लखनेहारा लखि लिया, जा को है गुरु ज्ञान।।
साहिब मेरा एक है, दूजा कहा न जाय।
दूजा साहिब जो कहूँ, साहिब खरा रिसाय।।
ज्ञान-प्रकासी गुरु मिला, सो जन बिसरि न जाय।
जब साहिब किरपा करी, तब गुरु मिलिया आय।।
गुरु साहिब करि जानिये, रहिये सबद समाय।
मिले तो दडँवत बंदगी, पल-पल ध्यान लगाय।।
गुरु को सिर पर राखिये, चलिये आज्ञा माहिं।
कहै कबीर ता दास को, तीन लोक डर नाहिं।।
गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागौ पाँय।
बलिहारी गुरु आपने, जिन गोबिंद दियो बताय।।
बलिहारी गुरु आपने, घडि़ घडि़ सौ-सौ बार।
मानुश से देवता किया, करत न लागी बार।।
मन दिया तिन सब दिया, मन की लार सरीर।
अब देवे को कछु नहीं, यों कहे दास कबीर।।
तन मन दिया तो भल किया, सिर का जासी भार।
कबहूँ कहै कि मैं दिया, घनी सहैगा मार।।
तन-मन ता को दीजिये, जा के विशया नाहिं।
आपा सबही डारि कै, राखै साहिब माहिं।।
तन मन दिया तो क्या हुआ, निज मन दिया न जाय।
कहै कबीर ता दास से, कैसे मन पतियाय।।
तन-मन दिया आपना, निज मन ता के संग।
कहै कबीर निरभय भया, सुन सतगुरु परसंग।।
गुरु कुम्हार सिष कुंभ है, गढ़ गढ़ काढै़ खोट।
अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।।
गुरु साहिब तो एक है, दूजा सब आकार।
आपा मेटे गुरु भजे, तब पावै करतार।।
ज्ञान समागम प्रेम सुख, दया भक्ति बिस्वास।
गुरु सेवा तें पाइये, सतगुरु चरन निवास।।
गुरु मानुष कर जानते, ते नर कहिये अंध।
महा दुखी संसार में, आगे जम के बंध।।
कबीर ते नर अंध हैं, गुरु को कहते और।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर।।
दास दुखी तो हरि दुखी, आदि अंत तिहुँ काल।
पलक एक में प्रगट है, छिन्न में करे निहाल।।
सतनाम हल जोतिये, सुमिरन बीज जमाय।
खंड ब्रह्मंड सूखा पड़ै, भक्ति बीज नहिं जाय।।
जब लग भक्ति सकाम है, तब लगि निस्फल सेव।
कह कबीर वह क्यों मिलै, निहकामी निज देव।।
सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार।
लोचन अनंत उधारिया, अनंत दिखावन हार।।
जेहि खोजत ब्रह्मा थके, सुर नर मुनि अरू देव।
कहै कबीर सुन साधवा, कर सतगुरु की सेव।।
साहिब तुम जनि बीसरो, लाख लोग लगि जाहिं।
हम से तुमरे बहुत हैं, तुम सम हमरे नाहिं।।
कर जोरे बिनती करौं, भवसागर अपार।
बंदा ऊपर मिहर करि, आवागमन निवार।।
सांई मेरा कछु नहीं, तेरा होय अकाज।
बिरद तुम्हारे नाम की, सरन परे की लाज।।
देह धरे का गुन यही, देह देह कछु देह।
बहुरि न देही पाइये, अब की देह सो देह।।
कबीर क्या मैं चिंतहुँ, मम चिंते क्या होय।
मेरी चिंता हरि करै, चिंता मोहि न कोय।।
चिंता न कर अचिंत रहु, देनहार समरथ।
पसू पखेरूं जीव जंत, तिन के गाँठि न हत्थ।।
जो सच्चा बिस्वास है, तो दुख क्यों ना जाय।
कहै कबीर बिचारि के, तन मन देहि जराय।।
हीरा परखै जौहरी, सब्दहिं परखै साध।
कबीर परखै साध को, ता का मता अगाध।।
हीरा पाया परखि कै, घन में दीया आनि।
चोट सही फूटा नहीं, तब पाई पहिचानि।।
हंसा बगुला एकसा, मानसरोवर माहिं।
बगा ढँढोरै माछरी, हंसा मोती खाहिं।।
हीरा साहिब नाम है, हिरदे भीतर देख।
बाहर भीतर भरि रहा, ऐसा आप अलेख।।
नाम रतन धन पाइ कै, गाँठ बाँध ना खोल।
नाहिं पटन नहिं पारखी, नहिं गाहक नहिं मोल।।
नर नारी सब नरक है, जब लगि देह सकाम।
कह कबीर सोइ पीव को, जो सुमिरै निहकाम।।
दुख में सुमिरन सब करै, सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करै, तो दुख काहे होय।।
सुख में सुमिरन ना किया, दुख में किया याद।
कह कबीर ता दास की, कौन सुनै फरियाद।।
सुमिरन की सुधि यों करौ, जैसे कामी काम।
एक पलक बिसरै नहीं, निसु दिन आठों जाम।।
सुमिरन की सुधि यों करौ, ज्यों गागर पनिहार।
हालै डोलै सुरति में, कहे कबीर बिचार।।
बिन पावन की राह है, बिन बस्ती का देस।
बिना पिंड का पुरूष है, कहै कबीर सँदेस।।
कबीर गर्ब न कीजिये, काल गहै कर केस।
ना जानौं कित मारिहै, क्या घर क्या परदेस।।
पानी केरा बुदबुदा, अस मानुश की जाति।
देखत ही छिपि जायगी, ज्यों तारा परभाति।।
निधड़क बैठा नाम बिनु, चेति न करै पुकार।
यह तन जल का बुदबुदा, बिनसत नाहीं बार।।
रात गँवाई सोइ करि, दिवस गँवायो खाय।
हीरा जन्म अमोल था, कौड़ी बदले जाय।।
कै खाना कै सोवना, और न कोई चीत।
सतगुरु सबद बिसारिया, आदि अंत का मीत।।
कबीर गर्व न कीजिये, देही देखि सुरंग।
बिछरे पे मेला नहीं, ज्यों केचुली भुजंग।।
मरिये तो मरि जाइये, छूटि परै जंजार।
ऐसा मरना को मरै, दिन में सौ-सौ बार।।
कल करे सो आज करू, आज करै सो अब।
पल में परलै होयगी, बहुरि करेगा कब।।
पाव पलक की सुधि नहीं, करै काल्ह का साज।
काल अचानक मारसी, ज्यों तीतर को बाज।।
जिन के नौबति बाजती, मैगल बँधते बार।
एकै सतगुरु नाम बिनु, गये जनम सब हार।।
ऐसा यह संसार है, जैसा सेमर फूल।
दिन दस के ब्यौहार में, झूँठे रंग न भूल।।
पाँच पहर धंधे गया, तीन पहर रहे सोय।
एको घड़ी न हरि भजे, मुक्ति कहाँ ते होय।।
कबीर मंदिर लाख का, जडि़या हीरा लाल।
दिवस चार का पेखना, बिनसि जायगा काल।।
कबीर गुरु के मिलन की, बात सुनी हम दोय।
कै साहिब को नाम लै, कै कर ऊँचा होय।।
सतगुरु दीन दयाल हैं, दया करी मोहि आय।
कोटि जनम का पंथ था, पल में पहुँचा जाय।।
अगम पंथ मन थिर रहै, बुद्धि करै परबेस।
तन मन धन सब छाडि़ कै, तब पहुँचै वा देस।।
सब को पूछन मैं फिरा, रहन कहै नहिं कोय।
प्रीति न जोरै गुरु से, रहन कहाँ से होय।।
कबीर मारग कठिन है, कोई सकै न जाय।
गया जो सो बहुरै नहीं, कुसल कहै को आय।।
जहाँ न चींटी चढि़ सकै, राई न ठहराय।
मनुवा तहँ लै राखिया, तहईं पहुँचे जाय।।
कबीरा मारग कठिन है, सब मुनि बैठे थाकि।
तहाँ कबीरा चढि़ गया, गहि सतगुरु की साखि।।
सुर नर थाके मुनि जना, थाके बिसनु महेस।
तहाँ कबीरा चढि़ गया, सतगुरु के उपदेस।।
लव लागी तब जानिये, छूटि कभुँ नहिं जाय।
जीवत लव लागी रहै, मूए तहँहि समाय।।
काया कमंडल भरि लिया, उज्जल निर्मल नीर।
पीवत तृशा न भाजही, तिरशा-वंत कबीर।।
गंग जमुन उर अंतरे, सहज सुन्न लव घाट।
तहाँ कबीर मठ रचा, मुनि जन जोवैं बाट।।
जेहि बन सिंह न संचरै, पंछी उडि़ नहीं जाय।
रैन दिवस की गम नहीं, तहँ कबीर लव लाय।।
लागी लागी क्या करै, लागी बुरी बलाय।
लागी सोई जानिये, जो वार पार होइ जाय।।
लागी लागी क्या करै, लागी नाही एक।
लागी सोई जानिये, परै कलेजे छेक।।
सत्त नाम जाना नहीं, चूके अब की घात।
माटी मलत कुम्हार ज्यों, घनी सहै सिर लात।।
आया अनआया हुआ, जो राता संसार।
पड़ा भुलावे गाफिला, गये कुबुद्धि हार।।
यह तन काँचा कुंभ है, लिये फिरै था साथ।
टपका लागा फूँटिया, कछु नहिं आया हाथ।।
कबीर यह तन जात है, सकै तो ठौर लगाव।
कै सेवा कर साध की, कै गुरु के गुन गाव।।
यह दुनिया दुइ रोज की, मत कर या से हेत।
गुरु चरनन से लागिये, जो पूरन सुख देत।।
मैं मैं बड़ी बलाय है, सको तो निकसो भागि।
कहै कबीर कब लगि रहै, रूई लपेटी आगि।।
कहे कबीर आप ठगाईये, और न ठगिये कोय।
आप ठगे सुख उपजै, और ठगे दुख होय।।
मौत बिसारी बावरे, अचरज किया कौन।
तन माटी मिल जायेगा, ज्यों आटे मं नोन।।
होय बिबेकी सबद का, जाय मिलै परिवार।
नाम गहै सो पहुँचई, मानहु कहा हमार।।
सुरति समावै नाम में, जग से रहै उदास।
कह कबीर गुरु चरन में, दृढ़ राखौ बिस्वास।।
आसा तो इक नाम की, दूजी आस निरास।
पानी माहीं घर करै, तौहू मरै पियास।।
आसा तो इक नाम की, दूजी आस निवार।
दूजी आसा मारसी, ज्यों चैपर की सार।।
सत्तनाम निज औशधी, सतगुरु दई बताय।
औशधि खाय रू पथ रहै, ता की बेदन जाय।।
कबीर सतगुरु नाम में, बात चलावै और।
तिस अपराधी जीव को, तीन लोक कित ठौर।।
सुमिरन से सुख होत है, सुमिरन से दुख जाय।
कह कबीर सुमिरन किये, साई माहिं समाय।।
Kabeer karat hai beenatee, suno snt chit laay.
Maarag sirajanahaar kaa, deejai mohin bataay..
Sataguru bade dayaal hain, sntan ke aadhaar.
Bhavasaagarahi athaah se, khei utaarain paar..
Bhakti daan mohi deejiye, guru devan ke dev.
Aur naheen kachhu chaahiye, nisu din teree sev..
Kaun surati lai aavaii, kaun surati lai jaay.
Kaun surati hai isthire, so guru dehu bataay..
Baas surati lai aavaii, sabad surati lai jaay.
Parichay surati hai isthire, so guru daii bataay..
Jo aavai to jaay nahin, jaay to aavai naahin.
Akath kahaanee prem kee, samujhi lehu man maahin..
Ham chaale amaraavatee, ṭaare ṭoore ṭaaṭ.
Aavan hoy to aaiyo, soolee oopar baaṭ..
Soolee upar ghar karai, viṣ kaa karai aahaar.
Taa kaa kaal kahaa karai, jo aaṭh pahar husiyaar..
Kabeer garb n keejie, as joban kee aas.
Tesoo foolaa divas das, khnkhar bhayaa palaas..
Kabeer garb n keejie, oonchaa dekhi aavaas.
Kaalh pare bhuin leṭanaa, oopar jamasee ghaas..
Kabeer garb n keejiye, chaam lapeṭe haad.
Hay bar oopar chhatr tar, tau bhee deven gaad..
Goongaa huaa baavaraa, bahiraa huaa kaan.
Paayan se pagunlaa huaa, sataguru maaraa baan..
Sataguru maaraa baan bhari, ṭooṭi gayaa sab jeb.
Kahun aapaa kahun aapadaa, tasabee kahoon kateb..
Sataguru maaraa baan bhari, nirakhi nirakhi nij ṭhaur.
Alakh naam men rami rahaa, chit n aavai aur..
Dil men hee deedaar hai, baad bahai snsaar.
Sataguru sabad kaa maskalaa, mohin dikhaavanahaar..
Gyaan samaagam prem sukh, dayaa bhakti bisvaas.
Sataguru mili ekai bhayaa, rahee n doojee aas..
Sataguru bade saraaf hain, parakhen kharaa aroo khoṭ.
Bhavasaagar ten nikaari kai, raakhain apanee oṭ..
Bhavasaagar jal viṣ bharaa, man nahin baandhe dheer.
Sabad sanehee guru milaa, utaraa paar kabeer..
Sataguru sabad jahaaj hain, koii-koii paave bhed.
Samund bund ekai bhayaa, kisakaa karoon niṣedh..
Guru guru men bhed hai, guru guru men bhaav.
Soii guru nit bndiye, jo sabad bataavai daav..
Jaa guru ten bhram n miṭai, bhraanti n jeev kee jaaye.
Guru to aisaa chaahiye, devai sabad lakhaaye..
Bndhe ko bndhaa milai, chhooṭai kaun upaay.
Kar sevaa nirabndh kee, pal men let chhudaay..
Kabeer guru ko gam naheen, paahan diyaa bataay.
Sish sodhe bin seiyaa, paar n pahunchai jaay..
Guru binu maalaa ferataa, guru binu karataa daan.
Guru binu sab nisfal gayaa, bujhau bed puraan..
Gagan mnḍaal ke beech men, tahavaan jhalakai noor.
Niguraa mahal n paavaii, pahunchegaa guru poor..
Aisaa koii n milaa, ham ko de upades.
Bhavasaagar men boodtaa, kar gahi kaaḍhai kes..
Ham ghar jaaraun aapanaa, lookaa leenhaa haath.
Ab ghar jaaraun taahin kaa, jo chale hamaare saath..
Guru milaa tab jaaniye, miṭai moh tan taap.
Harṣ sok vyaapai naheen, tab guru aapai aap..
Guru hamaaraa gagan men, chelaa hai chitt maahin.
Surat sabad melaa bhayaa, bichhudt kabahoon naahin..
Bhedee leenhaa saath kar, deenhee bastu lakhaay.
Koṭi janm kaa pnth thaa, pal men pahunchaa jaay..
Sataguru ham se reejhi kai, ek kahaa parasng.
Barasaa baadal prem kaa, bheeji gayaa sab ang..
Sataguru ke upades kaa, suniyo ek bichaar.
Jo sataguru milataa naheen, jaataa jam ke dvaar..
Sataguru saachaa sooramaa, nakh sikh maaraa poor.
Baahar ghaav n deesaii, bheetar chakanaachoor..
Sataguru sabad kamaan kari, baahan laagaa teer.
Ek jo baahaa prem se, bheetar bindhaa sareer..
Hnse n bole unamunee, chnchal melaa maar.
Kabeer antar bedhiyaa, sataguru kaa hathiyaar..
Guru hain bad govind ten, man men dekhu vichaar.
Hari sumirai so vaar hai, guru sumirai so paar..
Teen lok kee sampadaa, so guru deenhaa daan.
Jam garaje bal baagh ke, kahai kabeer pukaar..
Pnḍait paḍhi guni pachi mue, guru bin milai n gyaan.
Gyaan binaa naheen mukti hai, satt sabad paramaan..
Teen lok nau khnḍa men, guru te badaa n koi.
Karataa karai n kari sakai, guru karai so hoi..
Kabeeraa hari ke rooṭhate, guru ke sarane jaay.
Kahai kabeer guru rooṭhate, hari nahin hot sahaay..
Kabeeraa heeraa banijiyaa, hiradai pragaṭee khaani.
Satt puruṣ kirapaa karee, sataguru mile sujaan..
Kabeer baadal prem ko, ham par barasayo aay.
Antar bheejee aatmaa, haro bhayo banaraay..
Saache guru kee pachchh men, man ko de ṭhaharaay.
Chnchal te nihachal bhayaa, nahin aavai nahin jaay..
Chaar bhujaa ke bhajan mein, bhooli pare sab sant.
Kabeer sumirai taasu ko, jaake bhujaa annt..
Janam maran se rahit hai, meraa saahib soy.
Balihaaree vahi peev kee, jin sirajaa sab koy..
Kasturee kuṇaḍaal basai, mrig ḍhoonḍhai ban maahin.
Aise ghaṭ men peev hai, duniyaa jaanai naahin..
Teraa saanii tujh men, jyon puhupan men baas.
Kasturee kaa mirag jyon, firi firi soonghai ghaas..
Jaa kaaran jag ḍhoonḍhiyaa, so to ghaṭ hee maanhi.
Paradaa deeyaa bharam kaa, taa ten soojhai naahin..
Samajhai to ghar men rahai, paradaa palak lagaay.
Teraa saahib tujh men, anat kahoon mati jaay..
Jetaa ghaṭ tetaa mataa, bahu baanee bahu bhekh.
Sab ghaṭ vyaapak hoy rahaa, soii aap alekh..
Jyon til maaheen tel hai, jyon chakamak men aagi.
Teraa saaii tujh men, jaagi sakai to jaag..
Jyon nainan men pootaree, yon khaalik ghaṭ maahin.
Moorakh log n jaanaheen, baahar ḍhoonḍhan jaahin..
Main jaanyaa hari doori hai, hari rahayaa sakal bharapoori.
Aap pichhaaṇaai baahiraa, nedaa hee thain doori..
Paavak roopee saaiyaan, sab ghaṭ rahaa samaay.
Chit chakamak laagai naheen, taa ten bujhi bujhi jaay..
Bhaaree kahoon to bahu ḍaaroon, halukaa kahoon to jheeṭh.
Main kyaa jaanoon peev ko, nain kachhu n ḍheeṭh..
Jo dekhe so kahe nahin, kahe so dekhe naahin.
Sune so samajhaave nahin, rasanaa drig sakhan kaahin..
Jo pakarai so chalai nahin, chalai so pakarai naahin.
Kah kabeer yah saakhi ko, arath samajh man maahin..
Baad bibaade biṣ ghanaa, bole bahut upaadh.
Mauni gahai sab kee sahai, sumirai naam agaadh..
Karataa kee gati agam hai, chalu guru ke unamaan.
Dheere dheere paanv de, pahunchoge paramaan..
Jaran maran dukh yaad kar, koode kaam nivaar.
Jin jin pnthon chaalanaa, soii pnth samhaar..
Kabeer sotaa kyaa karai, kyon nahin dekhai jaag.
Jaa ke sng se beechhudaa vaahee ke sang laag..
Sahaj sahaj sab kou kahai, sahaj n cheenhai koy.
Jaa sahajai saahib milai, sahaj kahaavai soy..
Sahaj sahaj sab koi kahai, sahaj n cheenhai koy.
Jaa sahajai bishayaa tajai, sahaj kahaavai soy..
Sahajai sahajai sab mayaa, man indree kaa naas.
Nihakaamee se man milaa, kaṭi karam kee faansi..
Sahajai sahajai sab gayaa, sut, bit, kaamani, kaam.
Ekamek hai mili rahaa, daas kabeeraa naam..
Aatam anubhav gyaan kee, jo koii poochhai baat.
So goongaa gud khaai kai, kahai kaun mukh svaad..
Jyon goonge ke sain ko, goongaa hee pahachaan.
Tyon gyaanee ke sukkh ko, gyaanee hoy so jaan..
Jaagat se sovan bhalaa, jo koii jaanai soy.
Antar lau laagee rahai, sahajai sumiran hoy..
Jaagan men sovan karai, sovan men lau laay.
Surati ḍaor laagee rahai, taar ṭooṭi nahin jaay..
Saahib te sab hot hai, bnde ten kachhu naahin.
Raaii te parabat karai, parabat raaii maahin..
Naa kuchh kiyaa n kari sakaa, naa karane jog sareer.
Jo kuchh kiyaa saahib kiyaa, taa ten bhayaa kabeer..
Ghaṭ samund lakhi naa parai, uṭhai lahar apaar.
Dil dariyaa samarath binaa, kaun utaare paar..
Mo men itanee sakti kahn, gaaoon galaa pasaar.
Bnde ko itanee ghanee, padaa rahai darabaar..
Sabad surati ke antare, alakh puroosh nirbaan.
Lakhanehaaraa lakhi liyaa, jaa ko hai guru gyaan..
Saahib meraa ek hai, doojaa kahaa n jaay.
Doojaa saahib jo kahoon, saahib kharaa risaay..
Gyaan-prakaasee guru milaa, so jan bisari n jaay.
Jab saahib kirapaa karee, tab guru miliyaa aay..
Guru saahib kari jaaniye, rahiye sabad samaay.
Mile to daḍanvat bndagee, pal-pal dhyaan lagaay..
Guru ko sir par raakhiye, chaliye aagyaa maahin.
Kahai kabeer taa daas ko, teen lok ḍaar naahin..
Guru gobind dooo khade, kaa ke laagau paany.
Balihaaree guru aapane, jin gobind diyo bataay..
Balihaaree guru aapane, ghaḍai ghaḍai sau-sau baar.
Maanush se devataa kiyaa, karat n laagee baar..
Man diyaa tin sab diyaa, man kee laar sareer.
Ab deve ko kachhu naheen, yon kahe daas kabeer..
Tan man diyaa to bhal kiyaa, sir kaa jaasee bhaar.
Kabahoon kahai ki main diyaa, ghanee sahaigaa maar..
Tan-man taa ko deejiye, jaa ke vishayaa naahin.
Aapaa sabahee ḍaari kai, raakhai saahib maahin..
Tan man diyaa to kyaa huaa, nij man diyaa n jaay.
Kahai kabeer taa daas se, kaise man patiyaay..
Tan-man diyaa aapanaa, nij man taa ke sang.
Kahai kabeer nirabhay bhayaa, sun sataguru parasng..
Guru kumhaar siṣ kunbh hai, gaḍh gaḍh kaaḍhai khoṭ.
Antar haath sahaar dai, baahar baahai choṭ..
Guru saahib to ek hai, doojaa sab aakaar.
Aapaa meṭe guru bhaje, tab paavai karataar..
Gyaan samaagam prem sukh, dayaa bhakti bisvaas.
Guru sevaa ten paaiye, sataguru charan nivaas..
Guru maanuṣ kar jaanate, te nar kahiye andh.
Mahaa dukhee snsaar men, aage jam ke bndh..
Kabeer te nar andh hain, guru ko kahate aur.
Hari rooṭhe guru ṭhaur hai, guru rooṭhe nahin ṭhaur..
Daas dukhee to hari dukhee, aadi ant tihun kaal.
Palak ek men pragaṭ hai, chhinn men kare nihaal..
Satanaam hal jotiye, sumiran beej jamaay.
Khnḍa brahmnḍa sookhaa padai, bhakti beej nahin jaay..
Jab lag bhakti sakaam hai, tab lagi nisfal sev.
Kah kabeer vah kyon milai, nihakaamee nij dev..
Sataguru kee mahimaa annt, annt kiyaa upakaar.
Lochan annt udhaariyaa, annt dikhaavan haar..
Jehi khojat brahmaa thake, sur nar muni aroo dev.
Kahai kabeer sun saadhavaa, kar sataguru kee sev..
Saahib tum jani beesaro, laakh log lagi jaahin.
Ham se tumare bahut hain, tum sam hamare naahin..
Kar jore binatee karaun, bhavasaagar apaar.
Bndaa oopar mihar kari, aavaagaman nivaar..
Saanii meraa kachhu naheen, teraa hoy akaaj.
Birad tumhaare naam kee, saran pare kee laaj..
Deh dhare kaa gun yahee, deh deh kachhu deh.
Bahuri n dehee paaiye, ab kee deh so deh..
Kabeer kyaa main chintahun, mam chinte kyaa hoy.
Meree chintaa hari karai, chintaa mohi n koy..
Chintaa n kar achint rahu, denahaar samarath.
Pasoo pakheroon jeev jnt, tin ke gaanṭhi n hatth..
Jo sachchaa bisvaas hai, to dukh kyon naa jaay.
Kahai kabeer bichaari ke, tan man dehi jaraay..
Heeraa parakhai jauharee, sabdahin parakhai saadh.
Kabeer parakhai saadh ko, taa kaa mataa agaadh..
Heeraa paayaa parakhi kai, ghan men deeyaa aani.
Choṭ sahee fooṭaa naheen, tab paaii pahichaani..
Hnsaa bagulaa ekasaa, maanasarovar maahin.
Bagaa ḍhnḍhorai maachharee, hnsaa motee khaahin..
Heeraa saahib naam hai, hirade bheetar dekh.
Baahar bheetar bhari rahaa, aisaa aap alekh..
Naam ratan dhan paai kai, gaanṭh baandh naa khol.
Naahin paṭan nahin paarakhee, nahin gaahak nahin mol..
Nar naaree sab narak hai, jab lagi deh sakaam.
Kah kabeer soi peev ko, jo sumirai nihakaam..
Dukh men sumiran sab karai, sukh men karai n koy.
Jo sukh men sumiran karai, to dukh kaahe hoy..
Sukh men sumiran naa kiyaa, dukh men kiyaa yaad.
Kah kabeer taa daas kee, kaun sunai fariyaad..
Sumiran kee sudhi yon karau, jaise kaamee kaam.
Ek palak bisarai naheen, nisu din aaṭhon jaam..
Sumiran kee sudhi yon karau, jyon gaagar panihaar.
Haalai ḍaolai surati men, kahe kabeer bichaar..
Bin paavan kee raah hai, bin bastee kaa des.
Binaa pinḍa kaa purooṣ hai, kahai kabeer sndesh..
Kabeer garb n keejiye, kaal gahai kar kes.
Naa jaanaun kit maarihai, kyaa ghar kyaa parades..
Paanee keraa budabudaa, as maanush kee jaati.
Dekhat hee chhipi jaayagee, jyon taaraa parabhaati..
Nidhadk baiṭhaa naam binu, cheti n karai pukaar.
Yah tan jal kaa budabudaa, binasat naaheen baar..
Raat gnvaaii soi kari, divas gnvaayo khaay.
Heeraa janm amol thaa, kaudee badale jaay..
Kai khaanaa kai sovanaa, aur n koii cheet.
Sataguru sabad bisaariyaa, aadi ant kaa meet..
Kabeer garv n keejiye, dehee dekhi surng.
Bichhare pe melaa naheen, jyon kechulee bhujng..
Mariye to mari jaaiye, chhooṭi parai jnjaar.
Aisaa maranaa ko marai, din men sau-sau baar..
Kal kare so aaj karoo, aaj karai so ab.
Pal men paralai hoyagee, bahuri karegaa kab..
Paav palak kee sudhi naheen, karai kaalh kaa saaj.
Kaal achaanak maarasee, jyon teetar ko baaj..
Jin ke naubati baajatee, maigal bndhate baar.
Ekai sataguru naam binu, gaye janam sab haar..
Aisaa yah snsaar hai, jaisaa semar fool.
Din das ke byauhaar men, jhoonṭhe rng n bhool..
Paanch pahar dhndhe gayaa, teen pahar rahe soy.
Eko ghadee n hari bhaje, mukti kahaan te hoy..
Kabeer mndir laakh kaa, jaḍaixyaa heeraa laal.
Divas chaar kaa pekhanaa, binasi jaayagaa kaal..
Kabeer guru ke milan kee, baat sunee ham doy.
Kai saahib ko naam lai, kai kar oonchaa hoy..
Sataguru deen dayaal hain, dayaa karee mohi aay.
Koṭi janam kaa pnth thaa, pal men pahunchaa jaay..
Agam pnth man thir rahai, buddhi karai parabes.
Tan man dhan sab chhaaḍai kai, tab pahunchai vaa des..
Sab ko poochhan main firaa, rahan kahai nahin koy.
Preeti n jorai guru se, rahan kahaan se hoy..
Kabeer maarag kaṭhin hai, koii sakai n jaay.
Gayaa jo so bahurai naheen, kusal kahai ko aay..
Jahaan n cheenṭee chaḍhi sakai, raaii n ṭhaharaay.
Manuvaa tahn lai raakhiyaa, tahaiin pahunche jaay..
Kabeeraa maarag kaṭhin hai, sab muni baiṭhe thaaki.
Tahaan kabeeraa chaḍhix gayaa, gahi sataguru kee saakhi..
Sur nar thaake muni janaa, thaake bisanu mahes.
Tahaan kabeeraa chaḍhi gayaa, sataguru ke upades..
Lav laagee tab jaaniye, chhooṭi kabhun nahin jaay.
Jeevat lav laagee rahai, mooe tahnhi samaay..
Kaayaa kamnḍaal bhari liyaa, ujjal nirmal neer.
Peevat trishaa n bhaajahee, tirashaa-vnt kabeer..
Gng jamun ur antare, sahaj sunn lav ghaaṭ.
Tahaan kabeer maṭh rachaa, muni jan jovain baaṭ..
Jehi ban sinh n sncharai, pnchhee uḍaix naheen jaay.
Rain divas kee gam naheen, tahn kabeer lav laay..
Laagee laagee kyaa karai, laagee buree balaay.
Laagee soii jaaniye, jo vaar paar hoi jaay..
Laagee laagee kyaa karai, laagee naahee ek.
Laagee soii jaaniye, parai kaleje chhek..
Satt naam jaanaa naheen, chooke ab kee ghaat.
Maaṭee malat kumhaar jyon, ghanee sahai sir laat..
Aayaa anaaayaa huaa, jo raataa snsaar.
Padaa bhulaave gaafilaa, gaye kubuddhi haar..
Yah tan kaanchaa kunbh hai, liye firai thaa saath.
ṭapakaa laagaa foonṭiyaa, kachhu nahin aayaa haath..
Kabeer yah tan jaat hai, sakai to ṭhaur lagaav.
Kai sevaa kar saadh kee, kai guru ke gun gaav..
Yah duniyaa dui roj kee, mat kar yaa se het.
Guru charanan se laagiye, jo pooran sukh det..
Main main badee balaay hai, sako to nikaso bhaagi.
Kahai kabeer kab lagi rahai, rooii lapeṭee aagi..
Kahe kabeer aap ṭhagaaiiye, aur n ṭhagiye koy.
Aap ṭhage sukh upajai, aur ṭhage dukh hoy..
Maut bisaaree baavare, acharaj kiyaa kaun.
Tan maaṭee mil jaayegaa, jyon aaṭe mn non..
Hoy bibekee sabad kaa, jaay milai parivaar.
Naam gahai so pahunchaii, maanahu kahaa hamaar..
Surati samaavai naam mein, jag se rahai udaas.
Kah kabeer guru charan mein, driḍh raakhau bisvaas..
Aasaa to ik naam kee, doojee aas niraas.
Paanee maaheen ghar karai, tauhoo marai piyaas..
Aasaa to ik naam kee, doojee aas nivaar.
Doojee aasaa maarasee, jyon chaipar kee saar..
Sattanaam nij aushadhee, sataguru daii bataay.
Aushadhi khaay roo path rahai, taa kee bedan jaay..
Kabeer sataguru naam men, baat chalaavai aur.
Tis aparaadhee jeev ko, teen lok kit ṭhaur..
Sumiran se sukh hot hai, sumiran se dukh jaay.
Kah kabeer sumiran kiye, saaii maahin samaay..