सपन करि जान्यो यह जिन्दगानी । टेक चार दिना की यह जिन्दगानी नहकै फिरत उतानी ।...
सद्गुरु शरणे जाय के तामस त्यागिये । भला बुरा कहि जाय तो उठि नहिं लागिये ।...
सद्गुरु शरण सहाई हो हंसा सद्गुरु शरण सहाई । निकट गये तन रोग ब्यापै ताप पाप...
सद्गुरु चारों वरण विचारी । टेक ब्राह्मण वही ब्रम्ह को जानै पहिरे जनेउ विचारी । साधुक...
सत्संग बिना जिय तरसे हो । टेक इस सत्संग में लाभ बहुत हैं तुरत मिलावै गुरु...
सत्य नाम का सुमिरण करले कल जाने क्या होय । जागु जागु नर निज आतम में...
संतो ज्ञान लहर धुन माड़ी । शब्द अतीत अनाहत राचे या विधि तृष्णा खाड़ी । टेक...
संतो सो निज देश हमारा । जहाँ जाय फिर हंस न आवे भवसागर की धारा ।...
संतो ससुरे का पठवो सन्देश नैहरवा में आग लगी। टेक नाऊ मरिगे बारी मरिगे मिटगा आवा...
संतो समझे का मत न्यारा जो आतम तत्व विचारा । टेक औरन से कहे आपा खोजो...
संतो वह घर सब से न्यारा जहाँ पूरण पुरुष हमारा । टेक जहाँ न सुख दुख...
सन्तो राह दुनों हम दीठा । हिन्दू तुरुक हटा नहिं माने स्वाद सबन को मीठा ।...