Bhakti
दिन दिन प्रीति अधिक मोंहि हरि की ।।।। काम क्रोध जंजाल भसम भयो बिरह अगिनि लगि...
हौं तो खेलौं पिया सँग होरी ।।।। दरस परस पतिबरता पिय की छबि निरखत भइ बौरी...
ऐसा वर देही हरि। गायी नाम निरंतरी।। धृ ।। पुरवी आस माझी देवा। जेणे घडे तुझी...
कंकड़िया मार के जगाया श्याम चुपके से भवन में आया श्याम दिखने में भोला भाला नटखट...
जय शिवशंकर हे प्रलयंकर भवानी शंकर तुझे प्रणाम। विश्वेश्वर हे तुझे प्रणाम सर्वेश्वर हे तुझे प्रणाम।...
सदगुरु मोरे साँवल शाह प्यारे हैं। कैसे कहूँ वो तो दुनिया से न्यारे हैं।। वाणी ऐसी...
मैं वारी जाऊं सदगुरु की जिन लायी राम स्यों यारी। मन तो पापी भागता जाये क्षणभंगुर...
भर पिचकारी मारी रासबिहारी मेरा तन मन तुझ पर वारी कान्हा मोहे रंग डारी। छुपी हुई...
तेरो कोई नहीं रोकनहार बुलावे जो कृष्णमुरार खेलन होरी जावन दे कि धूम मचावन दे। दयानिधे...
इक याद तुम्हारी याद रहे और दिल में किसी की याद न हो इस दिल की...
पा लैं तत्ते खम्बे नू जफीआं आपे तैनूं राम रख लये। मर जानेया मना कदी घबराई...
गोविंद मेरी यह प्रार्थना है भूलूं न मैं नाम कभी भी तुम्हारा। ये नाम तेरा मैं...