Bhakti
दीनदयाल दया करके भव सागर से कर पार मुझे ॥ टेक ॥ नीर अपार न तीर...
नाम लिया हरी का जिसने तिन और का नाम लिया न लिया ॥ टेक ॥ पशु...
नाम हरी का लीना नहीं तैने मूरख काम निकाम किया ॥ टेक ॥ बालपणो इस खेलन...
शंकर तेरी जटा में बहती है गंगधारा । काली घटा के अंदर जिम दामिनी उजारा ॥...
मन क्या भुला रहा है दुनियां कि मौज माहीं करके बिचार देखो कछु सार वस्तु नाहीं...
सुनरी सखी मोहन की वो बंसरी पियारी जमुना के तीर बन में गायन करे मुरारी ॥...
दिल ले लिया है मेरो वो नन्द के दुलारे पनियां भरन गई थी जमुना नदी किनारे...
मिलजा मुझे पियारे क्यों देरियां लगाईं जलवा मुझे दिखा के किस जां गये छिपाई ॥ टेक...
क्या सो रहा मुसाफिर बीती है रैन सारी अब जागके चलन कि करले सबी तियारी ॥...
ब्रजराज आज प्यारे गलिओं में मेरी आना तेरी छवी मनोहर मुझको हरी दिखाना ॥ टेक ॥...
ब्रजराज आज प्यारे दर्शन दियो मुरारी रस प्रेमका लगाके हमरी सुधी बिसारी ॥ टेक ॥ सूरत...
नज़रों से देख प्यारे क्या रूप है तुमारा अपने को भूल तनमें बाहिर फिरे गवारा ॥...