मन तू थकत थकत थकि जाई । बिन थाके तेरो काज न सरिहै फिर पाछे पछिताई...

मन तू क्यों भूला रे भाई तेरी सुधबुध कहाँ हेराई । टेक जैसे पंछी रैन बसेरा...

देख सखी जगदीश्वरी कैसी होरी रचाई ॥ टेक ॥ पृथिवी रंगभूमि सुखदायक गगन कनात लगाई वृक्ष...

जग सपने की माया साधो जग सपने की माया है ॥ शोच समझ नर दिल अपने...

आज सखी सतसंगत में मिलके हरि के गुण गान करो ॥ टेक ॥ कलि में हरिनाम...

दिखादे रूप ईश्वर का मुझे गुरुदेव करुणाकर टेक कोई बैकुंठ का ऊपर कोई कैलास पर्वत में...

अगर है मोक्ष की वांछा छोड़ दुनिया की यारी हैं टेक कोई तेरा न तू किसका...

अपने को आप भूलके हैरान हो गया माया के जाल में फसा विरान हो गया टेक...

गाफिल तू जाग देख क्या तेरा स्वरूप है किस वासते पड़ा जन्म मरण के कूप है...

सोह्म सोह्म सोह्म सदा बोल रे तोता नहीं तो भव सिंधु में तू खायेगा गोता टेक...

माझे मनोरथ पूर्ण करि देवा। केशवा न माधवा नारायणा।। धृ ।। नाही नाही मज आणिक सोयरा।...

याजसाठी केला होता अट्टाहास। शेवटचा दिस गोड व्हावा।। धृ ।। आता निश्चींतीने पावलो विसावा। खुंटलिया धावा...