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बीत गए दिन भजन बिना रे । टेक बाल अवस्था खेल गवाँयो जब ज्वानी तब मान...
अवधू भजन भेद है न्यारा । टेक क्या गाये क्या लिखि बताये क्या भरमे संसारा । ...
दीनानाथ रमापति मैं हुं शरण तुमरी जी ॥ टेक ॥ काम क्रोध मद लोभ लुटेरे रखिये...
भजन बिन भवजल कौन तरे ॥ टेक ॥ काम क्रोध मद ग्राह बसत है मार्ग में...
भजन बिन बिरथा जनम गयो ॥ टेक ॥ बालपणो सब खेल गमायो जोबन काम बह्यो ॥...