Kabir
हम न मरब मरिहैं संसारा हमका मिला जियावन हारा । टेक साकट मरैं संत जन जीवैं...
सौदा करे सो जाने काया गढ़ में लागल बजार । टेक या काया में हाट लगाये...
सोवता होय जो सोई तो जागिहै जागता सोवता कहाँ जागै । मान मन माहिं अभिमान ग्यानी...
सो मोरे मन कब भजिहो सतनाम । टेक बालापन सब खेल गमायो ज्वानी में व्यापो काम...
सो नैया बिच नदिया डूबी जाय । टेक एक अचम्भा हमने देखा गदहा के दो सींग...
सूर संग्राम को देखि भागे नहीं देखि भागे सोई सूर नाहीं । १ काम औ क्रोध...
सूर परकास तहँ रैन कहँ पाइये रैन परकास नहिं सूर भासै । १ ज्ञान परकास अज्ञान...
सुलताना बलख बुखार दा । शाही तजकर लिया फ़क़ीरी सद्गुरु नाम पियारे दा । टेक तब...
सुमिरन बिनु गोता खाओगे । टेक मूठि बाँधे गर्भ से आया हाथ पसारे जाओगे । १...
सुमिरन बिन अवसर जात चली। टेक बिन माली जस बाग़ सूखि गै सींचे बिन कुम्हिलात कली...
सुमिरन कर ले मेरे मना । टेक हस्ति दन्त बिनु पंछी पंख बिनु नारी पुरुष बिना...
सुन सतगुरु की बानी लो । ताहि चीन्ह हम भये बैरागी परिहरि कुल की कानी लो...