Kabir
धोबिया बन का भया न घर का । टेक घाटै जाय धुबनिया मारै घर में मारै...
धोबिया जल बिच मरत पियासा । टेक जल में ठाढ़ पिवै नहिं मूरख अच्छा जल है...
दो दिन खेल ले यह खेला यह तो नदी नाव को मेला। टेक कौड़ी कौड़ी माया...
देह बंदूक और पवन दारू किया ज्ञान गोली तहाँ खूब डाटी । १ सुरत की जामकी...
देख़हु यह तन जरता है घड़ी पहर बिलंबी रे भाई जरता है। १ काहे कौ एता...
देख बे देख अलेख के खेल को बना सर्बज्ञ नाना अपारा । १ आपही भोग बिलास...
दूभर पनिया भरा न जाई तृषा हरि बिन कौन बुझाई । टेक उपर नीर लेजु तलिहारी...
दुलहिन काहे न अँगिया धुलाई । बालापने की मैली अँगिया विषयन दाग परिजाई । टेक बिनु...
दुरुस्त जिभ्या रहै बचन अमृत कहै काम औ क्रोध का खोच खोई । ग्यान का पूर...
दुनिया मतलब का गरजी अब मोहि जान परी । टेक जौ लौं बैल लदे बनियाँ के...
दुनिया अजब दिवानी मोरी कही एक न मानी । तजि प्रत्यक्ष सद्गुरु परमेश्वर इत उत फिरत...
दीदार करो रोसन प्यारे गुलज़ार यही है और न कोई । १ दरगाह में पीर मुकाम...