Kabir
जियरा जाहुगे हम जानी। टेक राज करन्ते राजा जइहैं रूप करन्ते रानी। चाँदो जइहैं सूर्यो जइहैं...
जीभ का फूहरा पंथ का चूहरा तेज तमा धरे आप खोवै। १ काम और क्रोध दुइ...
जीवन मुक्त सोई मुक्ता हो। तब लगि जीवन मुक्ता नाहीं तब लगि सुख दुख भुक्ता हो।...
जे को मरे मरन है मीठा गुर प्रसादि जिनहीं मरि दीठा। टेक मूवा करता मुई ज...
जोगवे निस बासर जोग जती। टेक जैसे सोना जोगवत सोनरा जाने देत न एक रती ।...
कथनी बदनी सब जंजाल भाव भगति अरु राम निराल। १ कथैं बदै सुनौं सब कोई कथैं...
कथता बकता सुरता सोई आप बिचारैं ग्यानी होई। जैसे अगिन पवन का मेला चंचल चपल बुधि...
ऐसो भरम बिगुर्चन भारी। वेद कितेब दीन औ दोजख को पुरुषा को नारी। १ माटी का...
ऐसे हरि नहिं पाइये मन चंचल भाई। टेक सुगा पढ़ायो रैन दिन बोलै टकसारा । ...
ऐसी है दीवानी दुनिया भक्ति भाव नहिं बूझे जी। टेक कोई आवै बेटा माँगै यही ...
ऐसी लगन लगाय कहाँ जासी। टेक मूढ़ सुवा सेमर एक सेवे छाँड़ चला संग साथी। फूल...
ऐसा कोई देखा मतवाला। टेक छाक चढ़ी बिसरी सुधा पिये प्रेम पियाला। पिवते ही तन बीसरी...