Kabir
दीद बरदीद परतीत आवै नहीं दूरि की आस बिस्वास भारी । कथा अौ कबित स्लोक रसरी...
दिवाने मन भजन बिना दुख पैहो । टेक पहिले जन्म सुवा का पैहो बाग़ बसेरा लैहो...
दिवाने मन को है तेरा साथी । टेक जैसे बुंद ओस का मोती ऐसी काया जाती...
दिन रात मुसाफिर जात चला । टेक जिनका चलना रैन बसेरा सो क्यों ग़ाफ़िल रहत परा...
दया बिनु जोग ओ जग्य जप तप करे दया बिनु पण्डित पुस्तक पढ़ावे । दया बिनु...
दया करी गुरु जुक्ति बताई आपा चीन्हें भर्म नसाई । १ आपा चीन्हें त्रिभुवन सूझे गुरु...
तोरी गठरी में लागे चोर बटोहिया का सोवे । टेक पाँच पचीस तीन हैं चोरवा यह...
तोर मन चाहे मोसे जोड़ ले । टेक पाँच तत्व की तोहरी चुनरिया सतगुरु सगरा में...
तैं तो मेरी लगन लगाय रे फकिरवा । टेक सोवत रहा मैं अपने मंदिर में शब्द...
जानत कौन पराये मन की। टेक हीरों की परख जौहरी जाने लागत चोट सरासर घन की...
जारौं मैं या जग की चतुराई। राम भजन नहिं करत बावरे जिन यह जुगति बनाई। टेक...
जिनकी लगन गुरू से नाईं। ते नर पशु सम जग में जीवत विरथा जनम गँवाई ।...