Kabir
ऐसनि देह निरालप बौरे मुवल छुवे नहिं कोई हो। डंडवा की डोरिया तोरि लराइनि जो...
एक समसेर इकसार बजती रहे खेल कोई सूरमा संत झेले काम दल जीत करि क्रोध पैमाल...
एक दिन जाना होगा जरूर। तेरे बाप का घर नहीं है फिर क्यों है मगरूर। टेक ...
एक अचंभा देखा रे भाई ठाढ़ा सिंह चरावै गाई। टेक पहले पूत पाछे भई माई चेला...
ऋतु फागुन नियरानी कोई पिया से मिलावै । टेक सोई सुंदर जाके पिय को...
उपजै निपजै निपजिस भाई नयनहु देखत इहु जग जाई। १ लाज न मरहु कहौ घर मेरा...
इस बोलता को याद कर जिसका इलाही नूर है। १ निज पिण्डप्राण समारिया सो हाल ही...
इष्ट अवधूत का दुष्ट नहिं सहि सके दुष्ट को द्वैत की दृष्टि भासै । १ परम...
और व्यापार तो बड़े हैं इस्क व्यापार की राह न्यारी । १ साँप के डंसे की...
आरति कीजै आतम पूजा प्राण पुरुष सो अवर न दूजा ॥ ग्यान प्रकास दीप उजियारा...
आब का ऊपना हक्क दरगाह में पिसाब का ऊपना हक्क नाहीं । १ कहर को दूर...
आपने आपने सत्य सो खेलना कपट का खेल नहिं काम आवै ॥ १ कपट के खेल...