Kabir
दुःख न दर्द काल नहि व्यापे आनंद मंगल गाया है॥ मूल बीज बिनु वृक्ष बिराजै सतगुर...
ज्ञान कुदार ले बंजर गोड़े नाम को बीज बोवावे॥ सुरत सरावन नय कर फेरे ढेला रहन...
जब लग मोर तोर करि लीन्हा। भै भै जनमि जनमि दुःख दीना॥ अगम निगम एक करि...
जो काहू की भली न आवै बुरी काहे को कहिये। जो कोई संत मिले बड़ भागी...
घट के भीतर बहुत अंधेरा ब्रह्म अग्नि उजियारु रे। जगमग जोत निहारु मंदिर में तन मन...
भजन में होत आनंद आनंद। बरसत शब्द अमी के बादल भीजत है कोई संत ।। अगर...
मेरा तेरा मनुवा कैसे एक होई रे । मैं कहता हौं आँखन देखी तू कहता कागद...
मेरी लगन अब लागी है। बंधन काटि किया गुरु मुक्ता जरा मरण भ्रम भागी है।। जब...
मेरी सुरति सोहागिन जाग रे। का सोवै तू लोभ मोह में उठ के गुरु चरणों लाग...
अवधू चाल चले सो प्यारा।। निस दिन नाम विदेही सुमिरे कबहुँ न टूटे तारा।। सपने नाम...
नयना नारायण को देख एक बंगला बना दरवेश। इस बंगला में दस दरवाज़े बीच पवन का...
नैहरवा हमका नहिं भावे हमका नहि भावै। साई की नगरी परम अति सुंदर जहँ कोई जावे...