Kabir
अवधू माया तजी न जाई । गृह तजके बिस्तर बाँधा बिस्तर तजके फेरी । टेक काम...
अवधू भजन भेद है न्यारा । टेक क्या गाये क्या लिखि बताये क्या भरमे संसारा । ...
अवधू तन का मन रखवारा कोई जाने जाननहारा । टेक मन ही देव देहरा मन ही...
अवधू जानि राखि मन ठाहरि । जो कछु खोजो सो तुम्हीं महिं काहे को भरमें बाहरि...
अवधू कौन देश निज डेरा तेरो हंसा लेत बसेरा ॥ टेक कौन देश है कौन दिशा...
अवधू ऐसा ज्ञान विचार । भेरें चढ़े सो अद्धर डूबे निराधार भये पार । टेक औघट...
अवधू अंधाधुंध अंधियारा ॥ टेक या घट अंतर बाग बगीचा याही में सिरजनहारा ॥ १ या...
अवधू अक्षर से वो न्यारा ॥ टेक जो तुम पवना गगन चढ़ावो करो गुफा में वासा...
अवधू अमल करै सो पावै । जौ लग अमल असर न होवै तौ लग प्रेम न...
अलख के पलक में खलक सब जायगा परख दीदार दिल यार तेरा । सुरत में निरत...
अरे कोई सफा न देखा दिल का ॥ टेक बिल्ली देखी बगुला देखा सर्प जो देखा...
अमीरस भंवरा चाख लिया ॥ टेक जाके घट में प्रेम प्रकाशा सो बिरहिन क्यों बारु दिया...