तुमे है हरिशरण पड़े की लाज ॥ टेक ॥ मैं गुणहीन मलिन सदामति कैसे बने अब...
सुहावे सखी मोहनकी मोहे बेन ॥ टेक ॥ जमुनातट पर बन कुंजन में शाम चरावे धेन...
मिलादो सखी शामसुंदर मोहे आज ॥ टेक ॥ रातदिवस मोहे चैन न आवे भूल गये सब...
मेरा पिया मुझे दिखलादो रे कोई आनके आज मिलादो रे ॥ टेक ॥ मैं बिहरण नित...
दर्शन बिन जियरा तरसे रे मेरे नैन धार जल बरसे रे ॥ टेक ॥ मैं पापन...
हरिदर्शन की मैं प्यासी रे मेरी सुनिये अरज अविनाशी रे ॥ टेक ॥ निर्गुण से मोहे...
हरिभजन बिना सुखनाही रे नर क्यों बिरथा भटकाई रे ॥ टेक ॥ काशी गया द्वारका जावे...
गुरु चरणकमल बलिहारी रे मेरे मनकी दुविधा टारी रे ॥ टेक ॥ भवसागर में नीर अपारा...
हरिरस भरी बैन बजाई रे मेरे तन की सुध बिसराई रे ॥ टेक ॥ सुनकर बंसी...
सखी सुन हाल हमारा शामसुंदर मोहे लगे पियारा खानपान सुध भूल गई घरकाज बिसारारे ॥ टेक...
मुझे दे दर्शन गिरिधारी रे तेरी सांवरी सूरत पे वारीरे ॥ टेक ॥ जमुनातट हरि धेनु...
सदाशिव शंकर दाता पूरण ब्रम्ह जगत पितुमाता भक्तन के हितकर सदा कैलास बसातारे ॥ टेक ॥...