हरिभजरे उमरा बीत चली ॥ टेक ॥ दिनदिन घडि घडि पलपल जावे जैसे जल अंजली ॥...
मेरो मनरे क्यों न भजे हरिनाम ॥ टेक ॥ हरिको नाम सदा सुखदायक सफल करे सब...
मेरो मनरे भजले रामहरे ॥ टेक ॥ यह नरजन्म बहुर नहि आवे कोटिन यतन करे ॥...
मेरी आली री शाम सुंदर दिखलादे ॥ टेक ॥ बिन दर्शन मोहे चैन न आवे री...
तेरो प्रभुजी किस बिध दर्शन पावुं ॥ टेक ॥ मैं मतिमंद सकल गुणहीना जी सन्मुख होत...
मेरो मनरे भजले चरण मुरारी ॥ टेक ॥ दीनदयाल जगत प्रतिपालक रे भक्तन के हितकारी ।।...
मेरो प्रभुजी तुम बिन कौन सहाई ॥ टेक ॥ मातपिता सुत बांधव नारीजी स्वारथ हेत सगाई...
वाहवा क्या खेल रचाया है तेरा भेद किसी नहि पाया है ॥ टेक ॥ कहीं राजा...
मन भाया है मन भाया है श्रीकृष्ण मेरे घर आया है ॥ टेक ॥ कोटि भानु...
पछतावेंगा पछतावेंगा फिर वेला हथ न आवेगा ॥ टेक ॥ रतन अमोलक मिलया भारी कांच समझकर...
उजियाला है उजियाला है भट भीतर पंथ निराला है ॥ टेक ॥ त्रिकुटी महल में ठाकुर...
मन भाति है मन भाति है अनहद की टेर सुहाती है ॥ टेक ॥ गगन महल...