अगर है प्रेम मिलने का तो दुनिया से क्यूं शरमावे पिता प्रहलाद को मारा नाम हरिका...
अगर है प्रेम दर्शन का भजन से प्रीत कर प्यारे छोड़कर काम दुनिया के रोक विषयों...
अगर है मोक्ष की वांछा छोड़ दुनिया की यारी हैं टेक कोई तेरा न तू किसका...
अपने को आप भूलके हैरान हो गया माया के जाल में फसा विरान हो गया टेक...
गाफिल तू जाग देख क्या तेरा स्वरूप है किस वासते पड़ा जन्म मरण के कूप है...
सोह्म सोह्म सोह्म सदा बोल रे तोता नहीं तो भव सिंधु में तू खायेगा गोता टेक...
जाग जाग जाग मोह नींद से जरा भाग भाग भाग भोग जाल से परा टेक विषयों...
नाम नाम नाम जपो नाम राम का काम काम काम तजो काम धाम का टेक बिना...
मान मान मान कहा मान ले मेरा जान जान जान रूप जान ले मेरा टेक जाने...
अये दीन बंधु आज मेरी अरज सुन जरी दयानिधान जान आन शरण में पड़ी टेक काम...
बिना हरि के भजन मुफत जन्म गवाया दुनिया की मौज में फिरे सदा ही भुलाया टेक...
दो दिन का जग में मेला सब चलाचली का खेला टेक कोई चला गया कोई जावे...